Saturday, December 13

देश में कोरोना की तीसरी लहर आने पर संक्रमित बच्चों के अधिक गंभीर रूप से बीमार पड़ने के ठोस साक्ष्य नहीं मिले हैं। लैंसेंट कोविड मिशन इंडिया टास्क फोर्स ने अब तक के आंकड़ाें की समीक्षा के बाद यह दावा किया है। अध्ययन में दिल्ली-एनसीआर, तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र के दस अस्पतालों से लिए आंकड़ों को शामिल किया गया।

तीसरी लहर में बच्चों पर असर को लेकर एम्स के तीन बाल चिकित्सकों की सलाह से रिपोर्ट तैयार की गई है। इसमें बताया गया कि अधिकतर बच्चों में संक्रमण के लक्षण नहीं दिखते। जिनमें लक्षण मिलते भी हैं तो वह हल्के या मध्यम होते हैं जिनका घर पर ही चिकित्सीय सलाह से इलाज हो जाता है।

अब तक दो लहरों में महज 2600 बच्चों को ही अस्पताल ले जाना पड़ा है। जिन बच्चों मे मधुमेह, कैंसर, खून की कमी और कुपोषण जैसी पूर्व बीमारियां थीं उनकी हालत ही अधिक बिगड़ी। सामान्य रूप से स्वस्थ बच्चों में कोरोना से जान गंवाने का खतरा न के बराबर है।

ये लक्षण होंगे, घबराएं नहीं डॉक्टर की सलाह मानें
रिपोर्ट के मुताबिक अधिकतर बच्चों में बुखार, जुकाम या डायरिया के लक्षण जैसे पेट में दर्द, उलटी के लक्षण देखने को मिलेंगे। ऐसे मामलों में बिना घबराये डॉक्टरों की सलाह मानें तो बच्चे जल्द ही घर में ही स्वस्थ हो जाएंगे। इसमें भी 10 से कम उम्र वाले बच्चों में संक्रमण का खतरा अधिक उम्र वालों की तुलना में कम ही होगा।

रोना की दूसरी लहर के दौरान बच्चों के नियमित टीकाकरण में भारी गिरावट
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बच्चों के नियमित टीकाकरण में भारी गिरावट पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की। एक अधिकारी ने शनिवार को बताया, देश भर में एक वर्ष से कम उम्र के अनुमानित 20 लाख से 22 लाख बच्चों को हर महीने राष्ट्रीय कार्यक्रमों के तहत टीकाकरण के लिए लक्षित किया जाता है, जो प्रति वर्ष लगभग 260 लाख बच्चों में तब्दील होता है। लेकिन कोरोना वायरस महामारी के दौरान बच्चों का नियमित टीकाकरण कार्यक्रम काफी प्रभावित हुआ।

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