धमतरी। अगर इरादे बुलंद हों तो घोर अंधकार को चीरने के लिए दीपक की एक लौ ही काफी होती है। इस कहावत को धमतरी शहर की महिलाएं चरितार्थ कर रही हैं, जो अब घर पर रहकर शासन के सहयोग से अपने उन सपनों को हकीकत में बदल रही हैं, जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था। शासन की गरीबी उन्मूलन योजना का लाभ उठाकर समूह की दस महिलाओं के जीवन में आशातीत व सकारात्मक परिवर्तन आया है। नगर के अंबेडकर वार्ड में रहने वाली अनेक महिलाओं के परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे। महिलाएं कुछ करना तो जरूर चाहती थीं लेकिन घर से बाहर निकलकर खुद को साबित करने की इच्छाशक्ति की कमी के चलते साहस नहीं जुटा पाती थीं। शासन द्वारा संचालित गरीबी उन्मूलन के लिए महत्वाकांक्षी योजना स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (वर्तमान में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन योजना) के बारे में जानकारी मिली। आशा बाई साहू ने कार्यालय पहुंचकर योजना के संबंध में जानकारी प्राप्त कर सहेली संग महिला स्व-सहायता नाम से 10 महिलाओं का संगठन तैयार किया। स्व-सहायता समूह तैयार होने के पश्चात उन्हें आंगनबाड़ी में बच्चों को दिये जाने वाले मुर्रा-लड्डू बनाने का काम मिला। इससे इस समूह को प्रतिमाह 10 हजार से 15 हजार रू. तक की आय प्राप्त होने लगी। इनकी बचत राशि में धीरे-धीरे वृद्धि होने लगी। इसके अलावा राजीव गांधी शिक्षा मिशन योजना के तहत स्कूलों में छात्र-छात्राओं को गणवेश बनाने के काम से भी इनको 15 हजार से 20 रूपए तक की आमदनी होने लगी। साथ ही समूह द्वारा किशोरी रेडी-टू-ईट तैयार कर आंगनबाड़ी केन्द्रों में सप्लाई प्रारंभ की गई। आय के साथ आत्मविश्वास भी बढ़ा, फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा- इसी दौरान जिले के विभिन्न कार्यालयों को एक जगह स्थापित करने के लिये कलेक्टोरेट परिसर में कम्पोजिट बिल्डिंग का निर्माण हुआ, जिसमें तत्कालीन कलेक्टर के द्वारा कार्यालयीन कर्मचारियों एवं आगंतुक नागरिकों के लिये चाय, नाश्ता एवं भोजन के लिए एक कक्ष को आरक्षित कर निविदा आमंत्रित कर समूह की महिलाओं को 15 अगस्त 2016 को कैन्टीन संचालन का जिम्मा सौंपा गया, जिसका अब तक सफल संचालन सहेली संग समूह द्वारा किया जा रहा है। इससे न सिर्फ समूह की आय बढ़ी, बल्कि महिलाओं का आत्मविश्वास व आत्मसम्मान भी बढ़ा। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। समूह की सचिव श्रीमती हेमा साहू ने बताया कि कैन्टीन में प्रतिदिन औसतन 3 से 4 हजार रूपए तक की आवक हो जाती है जहां चाय, नाश्ता, भोजन के अलावा कुछ पैकेज्ड खाद्य सामग्रियों का भी विक्रय किया जाता है। उन्होंने बताया कि समूह के द्वारा कैन्टीन चलाने के पहले महिला एवं बाल विकास विभाग से एक लाख रूपए का ऋण लिया गया था। सभी सदस्यों के द्वारा एक लाख रूपए जमा किए गए तथा समूह के खाते से एक लाख 85 हजार रू. निकालकर कुल तीन लाख 85 हजार रूपए की राशि एकत्रित की गई। इस राशि से कैन्टीन का संचालन का प्रारंभ किया गया। आज वर्तमान में कैन्टीन से होने वाली आय से प्रत्येक सदस्यों को प्रतिमाह 3500-3500 रूपए का वितरण किया जा रहा है। इसके अलावा वर्ष 2017-18 के राज्योत्सव मेला नया रायपुर के लगाये गये स्टाल में इस समूह के द्वारा स्वयं के उत्पादित सामानों- बड़ी, पापड़, अचार, मुरकू, बिजौरी, फल्ली लड्डू, तिल्ली लड्डू, मुर्रा लड्डू आदि सामानों को मात्र चार दिनों में 52 हजार रूपए की आय समूह को हुई। महिला समूह के लिए यह बहुत बड़ी सफलता थी। पापड़ बनाने की ऑटोमैटिक मशीन भी खरीदी-सहेली संग महिला स्व-सहायता समूह द्वारा पापड़ बनाने की ऑटोमैटिक मशीन चार लाख रूपए की लागत से क्रय करने के लिये राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन योजना के तहत समूह ऋण का प्रकरण इलाहाबाद बैंक धमतरी में प्रस्तुत किया गया। बैंक के द्वारा पापड़ बनाने की ऑटोमैटिक मशीन प्रदान की जा चुकी है। इस समूह के साथ-साथ शहर के अन्य समूहों के सदस्यों को जोड़कर वृहद रूप से पापड़ तैयार कर बाजारों में बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराने की योजना तैयार की जा रही है। समूह की सफलता को देखते हुए उनके घर के आसपास की महिलाएं भी इस समूह में शामिल हो चुकी हैं। इस समूह में वर्तमान में सदस्यों की संख्या बढ़कर 13 हो चुकी है। यह समूह दिन प्रतिदिन अपनी लगन एवं मेहनत से सफलता अर्जित कर रहा है। राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के सामाजिक गतिशीलता एवं संस्थागत विकास अंतर्गत निर्देशित, स्व-सहायता समूह मॉड्यूल प्रशिक्षण प्राप्त यह समूह निश्चित तौर पर धमतरी निकाय क्षेत्र के अन्य समूहों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इस प्रकार समूह की महिलाएं आर्थिक सशक्तिकरण के साथ-साथ अपना तथा अपने परिवार को खुशहाल और समृद्ध बनाने में बराबर की सहभागिता निभा रही हैं।
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