Saturday, December 13


रायपुर। पालकों और प्रायवेट विद्यालयों के बीच फीस को लेकर टकराव समाप्त करने के उद्देश्य से सरकार ने राज्य में फीस अधिनियम लागू किया था, लेकिन इससे पालको को कोई लाभ नहीं मिल रहा था। पीड़ित पालक अधिकारियों के चक्कर काट रहे थे और अधिकारी सिर्फ अपने कार्यालय में बैठे-बैठे पालकों को कोरा आश्वासन देकर घर भेज देते थे, जिसको लेकर पालकों में भारी नाराजगी था। छत्तीसगढ़ पैरेंटस एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने बताया कि छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन अधिनियम 2020 में बहुत खामीयां है जिसको लेकर पालकों ने इस कानून को हाईकोर्ट में चुनौती दिया हैै, क्योंकि इस कानून में किसी व्यक्तिगत पालकों को अभ्यावेदन देने का कोई प्रावधान नहीं है सिर्फ अभिभावक संघ को ही यह अधिकार दिया गया है और अभिभावक संघ का निर्माण कौन करेगा इसका उल्लेख कानून में नहीं है, जिसका लाभ उठाकर प्रायवेट स्कूलों ने मनमाने ढंग से इस कोरोना काल में भी फीस में भारी वृद्धि कर दिया है।

श्री पॉल ने बताया कि फीस वृद्धि की लगातार लिखित शिकायत पालकों के द्वारा उच्च अधिकारियों को दिया जा रहा था, लेकिन किसी भी स्कूल के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होने से पालक परेशान हो रहे थे, क्योंकि मनमानी फीस जमा नहीं करने वाले पालकों के बच्चों को ऑनलाईन क्लासेस से हटा दिया जा रहा था। इन बातों को लेकर अब पालकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसे हाइकोर्ट ने तीन स्कूलों को नोटिस जारी किया है।इस वर्ष करोना काल में 8 फीसदी से ज्यादा फीस वृद्धि एवं बिना पालक समिति बना, फीस वृद्धि जो कि आरटीई एक्ट का स्पष्ट उल्लंघन है, को लेकर हाईकोर्ट में पालकों द्वारा याचिका पर, डीपीएस रिसाली, केपीएस रायपुर और गुजराती पब्लिक स्कूल रायपुर को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा नोटिस जारी किया गया है।

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