Friday, December 12

जिले में 17737 वनाधिकार पट्टा और 338 वन संसाधन हक का वितरण

उत्तर बस्तर कांकेर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व मे छत्तीसगढ़ सरकार के जनहितैषी निर्णय के फलस्वरूप वन भूमि में वर्षो से काबीज लोंगों को वनाधिकार पत्र मिलने से जिले के अनेक गरीब परिवारों की जिंदगी संवर गई है। छत्तीसगढ़ शासन के महत्वाकांक्षी योजना वनाधिकार पट्टा से वन क्षेत्रों में वन भूमि में काबिज लोगों को उनके सुविधा के लिए राज्य सरकार के संवेदनशील निर्णयों के कारण  लंबे समय तक इस भूमि में काबिज होकर महतारी की सेवा कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे भूमि पुत्रों को आखीरकार जंगल-जमीन का मालिकाना हक मिल ही गया है, जिससे वन भूमि के स्वामित्व को लेकर उनकी चिंताएं दूर हो गई है। अब वे निश्चिंत होकर अपनी मेहनत से इस जमीन में फसल उगा रहें हैं। जिले में 12 हजार 883 लोगों को लगभग 4339.115 हेक्टेयर भूमि का व्यक्तिगत वनाधिकार पट्टा तथा 04 हजार 854 सामुदायिक वनाधिकार पट्टा के तहत 179449.810 हेक्टेयर भूमि प्रदाय किया गया है। इसी प्रकार 145120.733 हेक्टेयर भूमि का 338 वन संसाधन हक भी वितरण किया गया है।
वनाधिकार पट्टा मिलने के साथ ही खम्मनसिंह करने लगा आधुनिक खेती
जमीन का मालिकाना हक मिलने से किसान खम्मनसिंह नेताम के जीवन में खुशियों की बहार आ गई है। उनके पिता के द्वारा पहलें छोटे झाड़ के जंगल की जमीन को काबिज कर खेती किया जा रहा था, जिसका मालिकाना हक प्राप्त हो चुका है। मुख्यमंत्री श्री भूपेष बघेल की सरकार द्वारा उन्हें वन अधिकार मान्यता पत्र प्रदान की गई है। कृषक खम्मनसिंह नेताम ने मुख्यमंत्री श्री बघेल की प्रशंसा करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा वन भूमि पर वर्षो से काबिज लोगों को जमीन का मालिकाना हक प्रदान करने की योजना लागू की गई है, जिसके फलस्वरूप मुझे  1.02 हेक्टेयर भूमि का वनाधिकार पट्टा प्राप्त हुआ है, इससे मेरी चिंता दूर हो गई है, अब मुझे बेदखली का भय नही है। उन्होंने बताया कि वनाधिकार पट्टा मिलने के साथ ही मैं आधुनिक खेती कर अपने आमदनी में वृद्धि कर रहा हूॅ।
कांकेर जिले के नरहरपुर विकासखण्ड के ग्राम देवगांव के फिरंगीपारा निवासी भूमिहीन कृषक खम्मनसिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सराहना करते हुए कहा कि उनके पूर्वजों द्वारा इस जमीन पर कई वर्ष पहले से खेती की जा रही थी, लेकिन मालिकाना हक नहीं मिलने की चिंता बनी रहती थी, अब मेरी चिंता दूर हो गई है। उन्होंने बताया कि इस जमीन में रोजगार गारण्टी योजना के तहत 02 लाख 30 हजार रूपये की लागत से डबरी निर्माण कराया गया है और कुछ राशि कर्ज लेकर लगभग 01 लाख रूपये खर्च कर नलकुप खनन भी करवाया गया है, जिसमें 1.50 एचपी का मोटर पंप लगाकर डबरी में पानी भरने का कार्य किया जाता है, इसके अलावा फसल की सिंचाई करने में लगाया जाता है। खम्मनसिंह ने बताया कि बोर के पानी से सब्जी उत्पादन भी करने लगा हूॅ, जिसे  दैनिक उपयोग के बाद बाकी सब्जियों को विक्रय भी करता हूॅ, खेत के मेड़ो पर अरबी, केला एवं देशी सब्जियां लगाया गया है, जिससे मेरी आर्थिक आमदनी में वृद्धि हो रही है। उन्होंने बताया 1.02 हेक्टेयर भूमि का मालिकाना हक मिलने से दो फसली खेती किया जा रहा है, गत वर्ष खरीफ एवं रबी फसल के धान को बेचने से 70 हजार रूपये की आमदनी भी प्राप्त हुआ है। इस वर्ष खेतों मे नर-नारी एवं बलवान धान को आधुनिक पद्धिति से रोपाई किया गया है।
कृषक खम्मनसिंह नेताम ने कहा कि डबरी में मछली पालन का कार्य भी कर रहा हूॅ, मृगल, रोहू और कतला आदि मछलियों का बीज डबरी में डाला है, जिन्हे प्रतिदिन भोजन के रूप में दाना दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मछलियां अब बढ़कर बिक्री करने लायक हो गई है, उन्हे विश्वास है कि मछलियों के बेचने से भी उन्हें अच्छी आमदनी प्राप्त होगी। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा किसानों के हित में किये जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हुए खम्मनसिंह ने बताया कि उनके द्वारा खेती-किसानी के लिए कर्ज लिया गया था, जिसे  राज्य सरकार द्वारा कर्ज माफ कर दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि इस वर्ष सहकारी समिति नरहरपुर के माध्यम से खाद एवं बीज भी कर्ज के रूप में प्राप्त हुआ है, जिससें यूनिया, डीएपी, राखड और पोटाष खाद मिला है। कृषक खम्मनसिंह नेताम ने कहा कि जमीन का मालिकाना हक वनाधिकार मान्यता पत्र मिलने से उनके परिवार के भरण-पोषण की  चिंता दूर हो गई है, धान की खेती के साथ ही सब्जी-भाजी का उत्पादन किया जा रहा है, अब डबरी का निर्माण भी हो गया है। अनाज की व्यवस्था के साथ-साथ सब्जी-भाजी की बिक्री से आर्थिक स्थिति में सुधार आया है।

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