0 गांव में किसी ने एक साथ बहुत से सर्पों को जला दिया, जलाने के पीछे कारण सिर्फ डर था। उसी दिन से सर्पों के संरक्षण का काम भी शुरू हो गया-निमेश टिकरिहा
रायपुर (मुकेश टिकरिहा)। आज 16 जुलाई को विश्व सर्प दिवस है। विश्व सर्प दिवस मनाये जाने का मुख्य कारण सर्पों से जुड़े लोगों के भ्रम को दूर करना है और इनका संरक्षण करना है। लोगों के इसी भ्रम को दूर करने और सर्पों के संरक्षण के लिए बहुत से वन्य जीव प्रेमी कार्य कर रहे हैं। उसी में से एक है दुर्ग जिले के ग्राम लिमतरा के निमेश टिकरिहा और उनके सहयोगी।
निमेश टिकरिहा बताते हैं कि वे सर्पों के संरक्षण का कार्य पिछले चार साल से कर रहे हैं। इन चार सालों में ये अपने सहयोगियों के साथ मिलकर लगभग 700 सर्पो का रेस्क्यू कर चुके हैं जिसमें सर्वाधिक कोबरा (नाग) की संख्या है। गिलहरी, गो आदि जीवों के संरक्षण का कार्य करते जब इनको पता चला कि गांव में किसी ने एक साथ बहुत से सर्पों को जला दिया। जलाने के पीछे कारण सिर्फ डर था। उसी दिन से सर्पों के संरक्षण का काम भी शुरू हो गया। सर्प से तो सभी डरते हैं वही डर इन्हें भी था बावजूद ये लोग सर्प संरक्षण के लिए सांपों से जुड़ी जानकारी जुटाने में लग गए। साथ ही साथ सांप पकड़ऩे के लिए हुक और टोंग का स्वयं बनाये। इनके द्वारा जुगाड़ से बनाया गया टोंग सर्प पकडऩे के लिए बहुत ही कारगर साबित हुआ। सर्प पकडऩा जोखिम भरा काम तो था ही उतना ही मुश्किल था लोगों के सर्प से जुड़े भ्रम को दूर करना। इसके लिए आवश्यक था सर्पों से जुड़ी जानकारी का होना। कौन सा सर्प विषैला है, कौन सा नहीं। एवं सर्पों से जुड़ी तमाम जानकारियां धीरे-धीरे जुटाई जाने लगी। धीरे धीरे धीरे लोगों को पता चलते गया और अब आसपास के क्षेत्र से इन्हें रेस्क्यू के लिए बुलाया जाने लगा। रेस्क्यू कर ये सर्पों को सुरक्षित स्थान पर छोड़ देते हैं।
आज सर्पों के संरक्षण के साथ साथ लोगों को सर्प के प्रति जागरूक करते करते निमेश टिकरिहा एवं टीम के सदस्य विमल टिकरिहा, टिलेश्वर टिकरिहा, वीरेन्द्र धीवर, प्रेमा मण्डावी, तरुण यादव आदि सर्प संरक्षण के कार्य में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं।