Monday, December 8

भारत मंदिरों का देश है। यहां अनेकों ऐसे मंदिर हैं जो रहस्यमयी और चमतकारी माने जाते हैं। कई मंदिरोंं में तो भक्तों को ऐसे चमत्कार देखने को मिलते हैं, जिन पर यकीन करना मुश्किल होता है। इन मंदिरों में होने वाली घटनाओं के पीछे के रहस्य आज भी सभी के लिए अनसुलझे ही हैं। इन्हीं में से एक मंदिर हैं मैहर में स्थित मां शारदा का शक्तिपीठ। मैहर का शारदा मंदिर देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि यहां माता सती का हाथ गिरा था। यह मंदिर त्रिकूट पर्वत की चोटी पर है। कहा जाता है कि पर्वत की चोटी पर बने इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से माता के दर्शन करने जाते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है।
हर रोज होता है चमत्कार
यह मंदिर काफी चमत्कारी है। इस मंदिर में रोज एक चमत्कारिक घटना होती है। रात को मंदिर के पट बंद होने के बाद पुजारी भी पहाड़ के नीचे चले जाते हैं। रात के समय इस मंदिर में कोई नहीं रहता लेकिन अगले दिन सुबह पुजारी के आने से पहले देवी मां के सामने ताजे फूल चढ़े हुए मिलते हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी को ये ताजा फूल वीर योद्धा आल्हा और ऊदल चढ़ाकर जाते हैं।
ऐसी है मान्यता
इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि आल्हा और ऊदल अदृश्य होकर रोज माता की पूजा करने के लिए मंदिर में आते हैं। इन दोनों योद्धाओं ने ही इस घने जंगल में पर्वत पर स्थित मां शारदा के पावन धाम की खोज की थी और यहां 12 साल तक तपस्या की थी। कहा जाता है कि इनकी कड़ी तपस्या से मां शारदा ने प्रसन्न होकर उन्हें अमर रहने का वरदान दिया था।
जीभ काटकर चढ़ा दी थी मां को!
साथ ही इस मंदिर के बारे में एक कथा और प्रचलित है कि आल्हा और ऊदल ने देवी मां को प्रसन्न करने के लिए अपनी जीभ काटकर उन्हें अर्पित कर दी थी। तब मां ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उनकी जीभ फिर से जोड़ दी थी। इस मंदिर में मां के दर्शन करने के लिए 1001 सीढिय़ां चढऩी पड़ती हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों से यहां रोपवे सुविधा भी शुरू हो चुकी है।
नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं।

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