नई दिल्ली। जब किसी पर किसी का दिल आता है तो वह उसे पाने के लिए कुछ भी हद तक पहुंचने की कोशिश करता है। कुछ ऐसा ही हाल है इस विदेशी क्रिकेट खिलाड़ी का जिन्होंने एक लड़की का दिल जीतने गुजराती सीखी थी और तब जाकर वह उनका हमसफर बना। यह कहानी है इंग्लैंड के दिग्गज क्रिकेटर माइक ब्रेयरली का हैं। इंग्लैंड का यह दिग्गज 1976 में भारत आया तो उसे अंदाजा भी नहीं था कि इस देश से उनका हमेशा के लिए नाता जुडऩे वाला है। 1976 में इंग्लैंड की टीम भारत के दौरे पर आई तो ब्रेयरली भी टीम का हिस्सा थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात गुजराज के बड़े बिजनेसमैन गौतम साराभाई की बेटी माना साराभाई से मुलाकात हुई। दोनों ने एक-दूसरे को पसंद कर लिया। उस समय डेट करने का कल्चर नहीं हुआ करता था तो ऐसे में बात शादी तक जल्दी पहुंच गई। माना के पिता चाहते थे कि उनका जमाई उनकी संस्कृति, भाषा और रीति-रिवाज को समझता हो। ऐसे में ब्रेयरली ने दिग्गज कवि स्वरूप ध्रुव से चार साल तक गुजराती सीखी ताकी वह माना के पिता की उम्मीदों पर खरे उतर सके। इसके बाद दोनों की शादी हुई और लंदन में बस गए। लंदन में रहते हुए भी ब्रेयरली हर साल क्रिसमस के खास मौके पर पूरे परिवार के साथ अहमदाबाद आते हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि क्रिसमस के समय लंदन में बहुत भीड़ होती है। ऐसे वह वह इस मौके पर भारत आना पसंद करते हैं जहां वह अपने और माना के परिवार के साथ दिवाली औऱ होली की ही तरह क्रिसमस भी मनाते हैं। इस दौरान वह खुद पारंपरिक खाना भी बनाते हैं। ब्रेयरली को भारतीय खाना बनाना बहुत पसंद है और दाल-चावल से लेकर बैंगन के भर्ते जैसी चीजें बनाकर पत्नी को खिलाते हैं। उनकी पत्नी ने बताया था कि माइक भारतीय संस्कृति से इतना जुड़ा हुआ महसूस करते हैं कि बरोड़ा के महाराज प्रभावित हो गए थे। उन्होंने माना से कहा था कि वह माइक विदेशी नहीं लगते वह काफी हद भारतीय लगते हैं।
इंग्लैंड के ऐतिहासिक कप्तान हैं माइक ब्रेयरली
माइक ब्रेयरली ने लगभग 31 मैचों में इंग्लैंड की कप्तानी जिसमें से वह केवल चार ही मैच हारे। उन्हें साल 1981 की एशेज सीरीज में इंग्लैंड की शानदार जीत के लिए याद किया जाता है। उन्ही की कप्तानी में इंग्लैंड साल 1979 में वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची थी। रिटायरमेंट के बाद अब वह सर्टिफाइड साइकोएनलिस्ट, साइकोथेरेपिस्ट के अलावा मोटिवेशनल स्पिकर के तौर पर काम करते हैं। (एजेंसी)