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छत्तीसगढ़ में दो बड़े अभियानों की शुरूआत

बस्तर के चार जिलों में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान एवं प्रदेश के शेष जिलों में सघन टीबी एवं कुष्ठ खोज अभियान का होगा आगाज

स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर करेगी सर्वे

रायपुर. छत्तीसगढ़ में 1 दिसम्बर से स्वास्थ्य विभाग के दो बड़े अभियानों की शुरूआत हो रही है। राज्य के चार मलेरिया संवेदी जिलों बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और सुकमा में 1 दिसम्बर से 21 दिसम्बर तक मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान का सातवां चरण संचालित किया जाएगा। वहीं प्रदेश के शेष जिलों में इसी अवधि में सघन टीबी एवं कुष्ठ खोज अभियान चलाया जाएगा।

मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के सातवें चरण में 1 दिसम्बर से स्वास्थ्य विभाग की टीम बस्तर संभाग के चार जिलों बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और सुकमा के घने जंगलों और पहाड़ों से घिरे दुर्गम एवं दूरस्थ इलाकों में घर-घर पहुंचकर सभी लोगों में मलेरिया की जांच करेगी। इस दौरान पॉजिटिव पाए गए लोगों को तत्काल दवाई खिलाकर मलेरिया का इलाज शुरू किया जाएगा। मलेरिया के मामलों को निम्नतम स्तर तक ले जाकर पूर्ण मलेरिया मुक्त राज्य के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रदेश में लगातार यह अभियान चलाया जा रहा है।

मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत मलेरिया की जांच और इलाज के साथ ही इससे बचाव के लिए जन-जागरूकता संबंधी गतिविधियां भी चलाई जाएंगी। इस दौरान लोगों को रोज मच्छरदानी के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। साथ ही घरों के आसपास जमे पानी और नालियों में डीडीटी या जले हुए तेल का छिड़काव किया जाएगा। घर के आसपास स्वच्छता बनाए रखने और मच्छरों को पनपने से रोकने के उपाय भी लोगों को बताए जाएंगे।

सघन टीबी एवं कुष्ठ खोज अभियान के तहत 1 दिसम्बर से स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर टीबी और कुष्ठ के संभावित मरीजों की पहचान करेगी। अभियान के अंतर्गत संभावित मरीजों की जांचकर पॉजिटिव पाए गए लोगों को इलाज भी उपलब्ध कराया जाएगा। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने अभियान के प्रभावी संचालन के लिए सभी जिलों के कलेक्टर को परिपत्र जारी कर विस्तृत दिशा-निर्देश दिए हैं।

दो चरणों में संचालित होने वाले इस अभियान के पहले चरण में 1 दिसम्बर से 21 दिसम्बर तक नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर और दंतेवाडा जिले को छोड़कर राज्य के अन्य सभी जिलों में टीबी और कुष्ठ के संभावित मरीजों की खोज की जाएगी। नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा में 4 जनवरी 2023 से 25 जनवरी 2023 तक यह अभियान चलेगा। सघन टीबी एवं कुष्ठ खोज अभियान के दूसरे चरण में 2 जनवरी 2023 से 17 जनवरी 2023 तक सभी निजी चिकित्सालयों, नर्सिंग होम्स, प्राइवेट प्रैक्टिशनरों और केमिस्टों द्वारा चिन्हांकित टी.बी. व कुष्ठ के संदेहास्पद मरीजों की दैनिक सूची प्राप्त कर टी.बी. व कुष्ठ के पोर्टल में इन्द्राज किया जायेगा। इस दौरान जांच की जरूरत वाले संदिग्ध मरीजों का निःशुल्क सैंपल भी लिया जाएगा।

अभियान के दौरान मितानिनें 1 दिसम्बर से 15 दिसम्बर 2022 तक अपने-अपने कार्यक्षेत्र में घर-घर भ्रमण कर टीबी एवं कुष्ठ रोग के लक्षण के आधार पर संभावित मरीजों की पहचान करेंगी। 16 दिसम्बर से 21 दिसम्बर की अवधि में मितानिनों द्वारा खोजे गए टीबी एवं कुष्ठ के शंकास्पद मरीजों का पुनः परीक्षण संबंधित क्षेत्र के एमपीडब्ल्यू (बहु-उद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता) एवं एएनएम द्वारा किया जाएगा। हर घर में जाकर सभी व्यक्तियों में लक्षणों का पता लगाया जाएगा। जिन क्षेत्रों में मितानिन कार्यरत नहीं हैं, वहां नजदीक के क्षेत्रों की मितानिनें या कुष्ठ मित्र, टीबी चैम्पियन, टीबी मितान या स्वयंसेवी व्यक्तियों की सेवाएं ली जाएंगी।

मितानिनों द्वारा घर-घर भ्रमण के दौरान चिन्हांकित टीबी एवं कुष्ठ के संभावित रोगियों को निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर जांच कराने की सलाह दी जाएगी। ऐसे शहरी क्षेत्रों (मुख्यतः नॉन-स्लम में) जहां मितानिन की उपलब्धता नहीं है, वहां शहरी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स (UHWC) के पुरूष या महिला आरएचओ द्वारा टीबी एवं कुष्ठ के संदिग्ध मरीजों की पहचान की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग ने टीबी चैम्पियन्स, टीबी मितानों, कुष्ठ मित्रों एवं स्वयंसेवी व्यक्तियों की भी सेवाएं सर्वे कार्य एवं अभियान के प्रचार-प्रसार में लेने कहा है। अभियान के दौरान 1 दिसम्बर से सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में आने वाले टीबी व कुष्ठ के संदेहास्पद मरीजों की सूची पृथक से संधारित की जाएगी जिससे अभियान के दौरान मितानिनों द्वारा प्राप्त सूची से इसका मिलान किया जा सके।

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