Wednesday, August 20

प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना अनेक जरूरतमंद लोगों के जीवन में परिवर्तन की नित नई किरणें लेकर आ रही है। इससे गौठान समितियां आर्थिक रूप से सशक्त तो बन ही रही हैं, बल्कि आम ग्रामीणों और गोधन की सेवा से जुड़े चरवाहों के जीवन में भी सकारात्मक तब्दीलियां आ रही हैं। गोबर से अब तक सिर्फ कण्डे बनाकर उपयोग करने व बेचने वाले चरवाहों के भाग्य के द्वार इस योजना से खुलने लगे हैं। जिले के ग्राम पोटियाडीह के चरवाहा के जीवन में ऐसा बदलाव आया कि गोबर बेचकर उन्होंने अपनी आय का जरिया सुनिश्चित किया ही, साथ में बूंद-बूंद से घड़ा भरकर उसी राशि से खरीदे गए प्लॉट की रजिस्ट्री भी कराई।

जिला मुख्यालय से लगे धमतरी विकासखण्ड के ग्राम पोटियाडीह में रहने वाले चरवाहा श्री मोहितराम यादव को शासन की इस महत्वाकांक्षी योजना का प्रत्यक्ष लाभ मिला। योजना के तहत प्रतिदिन गोबर बेचकर उन्होंने एक लाख से अधिक की राशि अर्जित कर ली। उन्होंने कहा कि जब से गोधन न्याय योजना आई है तब से उनका भाग्य चमक उठा है। आज से लगभग ढाई साल पहले तक वह गोबर को संग्रहित कर सिर्फ कण्डे बनाने का काम करते थे, जिनका उपयोग घरेलू ईंधन के तौर पर करते थे, वहीं बचे हुए कण्डों औने-पौने दाम में बेच दिया करते थे। जब श्री यादव से इस योजना की उनके जीवन में उपयोगिता के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने उत्साहित होकर ठेठ बोली में कहा- ‘हमर छत्तीसगढ़ी म एक ठन हाना जुड़े हे- घुरवा के घलो दिन बहुरथे…। अइसे लागत हे, जइसे हमर सरकार हमरे मन असन रोजी-मजदूरी करके गुजारा करने वाला मन बर ए योजना ल बनाय हवै..। कभू नई सोंचे रेहेन कि गउठान म गोबर बेंच हमर जिनगी संवर जाही…!‘

61 वर्षीय चरवाहा श्री यादव ने बताया कि पोटियाडीह में गौठान बनने के बाद से वह वहां रोजाना औसतन 50 किलोग्राम गोबर बेचा करते हैं, जिससे अपने चरवाहे वाले काम के अलावा 100 रूपए प्रतिदिन की आय मिल जाती है। उन्होंने बताया कि अब तक 55 हजार किलो यानी 550 क्विंटल गोबर गांव में निर्मित गौठान में बेचकर एक लाख 10 हजार रूपए की आय अर्जित की। इस कार्य में उनकी पत्नी श्रीमती द्रोपदी के अलावा कुन्दन और गुलशन भी सहयोग करते हैं। श्री यादव ने यह भी बताया कि बड़े बेटे फलेन्द्र की शादी के बाद उन्होंने घर बनाने की सोची, जिसके बाद गांव में ही 14 डिसमिल प्लॉट खरीद लिया। इसके बाद रजिस्ट्री के लिए एक लाख से अधिक राशि लगने की जब बात आई तो वे चिंतित हो उठे। फिर उनकी पत्नी ने गोबर बेचकर जमा पूंजी को रजिस्ट्री के लिए लगाने की सलाह दी। फिर क्या था, जमा राशि को निकालकर अपने जमीन की तत्काल रजिस्ट्री करा ली और अब वे बेहद खुश हैं कि 14 डिसमिल प्लॉट का मालिकाना हक उन्हें मिल गया। श्री यादव की पत्नी श्रीमती द्रोपती ने यह भी बताया कि वह गौठान समिति की सक्रिय सदस्य हैं और गोबर बेचने के अलावा घर पर बकरी और मुर्गियां भी पाल रखी हैं। वर्तमान में उनके घर में 8 गाय-भैंस, 26 बकरे-बकरियां और तकरीबन 32 मुर्गे-मुर्गियां चूजों सहित हैं। कल तक बमुश्किल जीविकोपार्जन करने वाला यादव परिवार अब अपनी मेहनत और सरकार की इस दूरदर्शी योजना के चलते किसी के आगे झुकेगा नहीं! ऐसी उम्मीद और आत्मविश्वास है चरवाहा श्री मोहित यादव को।

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