बिना संघर्ष के जीवन आगू नइ बढय़, आदमी के जीवन म कदम-कदम म संघर्ष हवय, येकरे सेती आदमी ल अपन काम ल करत-करत विपरीत परिस्थिति ले संघर्ष करना चाही। ये कहना हे पदमश्री तीजन बाई के, जउन हर पंडवानी के क्षेत्र में पाछू कई बछर ले गायन करत आइस हे। मुलाकात म तीजन बाई हर ये घलो किहिस कि हमर ग्रामीण संस्कृति ल बरकरार रखना चाही काबर कि संस्कृति व्यक्ति के पहिचान होथे। त लिंक ल दबा के देखव मुलाकात के वीडियो…https://youtu.be/BiTMN7fTy8Q
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