इस दुनिया में एक ऐसा विशाल देश भी है जिसका क्षेत्रफल हमारे सौर मंडल के प्लूटो ग्रह से भी बड़ा है। इसके अलावा एक और चौंकाने वाली बात ये है कि इस देश में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना शहर बसाने जा रहे हैं।
यह देश भारत का सबसे घनिष्ठ और विश्वसनीय मित्र है। यह कोई और नहीं बल्कि रूस है जो इतना बड़ा है यहां 11 टाइम जोन है यानि इस देश में घड़ियों में 11 अलग-अलग प्रकार का टाइम चलता है। इस देश में एक सिरे पर उगता है तो दूसरे सिरे पर शाम होती है। रूस कितना बड़ा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है।
चीन से बना हुआ है रूस को खतरा– एक तरफ इस समय चल रहे यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के समय चीन और रूस दोस्ती शिखर पर पहुंच गई है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस की यात्रा कर चुके हैं। लेकिन रूस के लिए चीन की इस दोस्ती में खतरा भी है। इसी खतरे से निपटने के लिए रूस भारत की मदद ले रहा है। आपको बता दें कि रूस के सुदूर पूर्व में स्थित व्लादिवोस्तोक इलाके पर चीन कब्जा करना चाहता है। यह इलाका प्राकृतिक संसाधनों से भरा है। इतना ही नहीं बल्कि चीन के कई लोग इसे अपना हिस्सा मानते हैं। चीन की तरफ से खतरे की वजह से रूस ने पीएम मोदी से मदद मांगी है।
भारत बसाएगा रूस में अपना शहर – रूस की मदद के तौर पर भारत व्लादिवोस्तोक में एक सैटेलाइट शहर बसाना चाहता है। जिसके तहत यहां पर स्थित बंदरगाह, रोड और ऊर्जा से जुड़े आधारभूत ढांचे को विकसित किया जाएगा। यह मोदी सरकार के एक्ट फॉर ईस्ट पॉलिसी का हिस्सा होगा। चीन के बढ़ते दखल की वजह से अब रूस चाहता है कि भारत उसके इस इलाके में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करे। अब भारत और रूस ट्रांस आर्कटिक कंटेनर शिपिंग लाइन शुरू करने जा रहे हैं। यह उत्तरी समुद्र रास्ते से होकर गुजरेगा।
भारत को मिलेगा सस्ता माल – हाल ही में रूस के फॉर ईस्ट और आर्कटिक मामलों के मंत्री अलेक्सी चेकूनकोव ने अपनी भारत की यात्रा के दौरान भारतीय बंदरगाह तथा जहाजरानी मंत्री सर्वानंद सोनोवाल के मीटिंग की थी। रूस चाहता है कि यूरोप जाने वाले माल अब दक्षिणी या पश्चिमी रास्ते की बजाय उत्तरी समुद्री रास्ते और पूर्वी रास्ते से भेजा जाए। ऐसा होने पर मास्को से भारत आने वाले माल का खर्च व्लादिवोस्तोक से लाने पर 30 प्रतिशत कम होगा।
पीएम मोदी कर चुके ऐलान -आपको बता दें कि यह ऐलान पहले ही कर चुके हैं कि भारत रूस के उत्तरी समुद्री रास्ते को विकसित करने और उसे वैश्विक व्यापारिक रास्ते में विकसित करने में मदद करना चाहता है। आपको बता दें कि उत्तरी समुद्री रास्ता या नार्दन सी रूट में रूस का पूरा आर्कटिक का इलाका और सुदूर पूर्वी इलाका है। पुतिन भी यही चाहते हैं कि इस रास्ते को विकसित किया जाए जिससे इस वीरान पड़े इलाके को फायदा हो। यह रास्ता बनने के बाद यूरोप तक जाने का खर्च और समय दोनों ही बचेगा। अभी पानी के जहाज स्वेज या पनामा नहर के जरिए यह सफर तय करते हैं।