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20 वर्षों से आस्ट्रेलियन टीक के पौधों पर बस्तर की काली मिर्च का उत्पादन

कृषि विभाग के अधिकारियों को मिलकर जिले के कृषकों हेतु कार्ययोजना तैयार करने दिये निर्देश

कोण्डागांव. जिले में जैविक खेती के द्वारा आय अर्जित कर लोगों को जैविक कृषि के लिए प्रेरित करने वाले मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म एवं रिसर्च सेंटर के सीईओ एवं प्रगतिशील कृषक राजाराम त्रिपाठी से कलेक्टर दीपक सोनी ने मुलाकात कर उनके चिखलपुटी स्थित उद्यान का निरीक्षण किया। जिसमें प्रगतिशील कृषक श्री त्रिपाठी ने उन्हें उद्यान में पूर्णतः जैविक रूप से उत्पादित एवं विदेशों में निर्यात योग्य काली मिर्च की फसल को दिखाते हुए जैविक रूप से इसके उत्पादन की विधि को विस्तार पूर्वक बताया। उन्होंने बताया कि 20 वर्षों से आस्ट्रेलियन टीक के पौधों पर बस्तर की काली मिर्च का उत्पादन किया जा रहा है। इसकी खासियत है कि इसमें अन्य जगहों में उत्पादित काली मिर्च से 16 से 17 प्रतिशत अधिक पीपेराईजेशन तत्व पाये जाते है। वहीं अन्य स्थानों की अपेक्षा यहां इसका  उत्पादन अधिक हो रहा है, जिसका कारण यहां की जलवायु है।
इसके साथ ही उन्होने बताया कि उद्यान में 340 प्रकार की औषधियां लगायी गयी हैं। जिसमें 25 प्रकार की संकट ग्रस्त प्रजातियां भी शामिल है। जिन्हे प्राकृतिक वातावरण में जैविक रूप से उत्पादित करने के साथ उस पर शोध कार्य भी किया जा रहा है। श्री त्रिपाठी ने उद्यान में की जा रही पिप्पली, सिंदुरी, इंद्र जौ, स्टीविया, आम्बा हल्दी, कपूर हल्दी, पीली हल्दी, मधुमेह रोगियों हेतु इंसुलिन पौधे, सफेद मुसली, काली हल्दी, अदरक आदि की फसलों को दिखाते हुए देशी केचुओं के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट निर्माण एवं दीमकों के खेती पर किए गए शोध से प्राप्त सकारात्मक प्रभावों के संबंध में भी जानकारी दी। उन्होंने स्टीविया एवं मुसली की फसल पर शोध हेतु वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के साथ 10 एकड़ के खेत में किये जा रहे शोध को भी प्रदर्शित किया एवं बताया कि पड़ोसी देशों जैसे श्रीलंका, भूटान, बांग्लादेश के साथ युरोप के भी देशों के साथ विभिन्न राज्यों जैसे केरल, महाराष्ट्र, सिक्किम, पंजाब से भी वैज्ञानिक एवं प्रगतिशील कृषक यहां आकर शोध करने के साथ प्रशिक्षण भी प्राप्त कर चुके है।
कलेक्टर ने जैविक रूप से उद्यान में काली मिर्च के उत्पादन एवं उनके अंतर्राष्ट्रीय बाजारों मंम अच्छे कीमत की प्राप्ति को देखते हुए प्रशंसा की तथा कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों जिले के कृषकों के लिए इस प्रकार की खेती विकसित कर आय अर्जन के स्त्रोतों में वृद्धि हेतु कार्ययोजना बनाने के लिए निर्देशित करते हुए उद्यान के माध्यम से कृषकों को प्रशिक्षण देने हेतु कहा। इस दौरान श्री त्रिपाठी ने कृषि कार्य हेतु हेलीकॉप्टर के क्रय के संबंध में जानकारी देते हुए कलेक्टर को बताया कि इस प्रकार खेती का कार्य कई वर्षों से अमेरिका एवं युरोप जैसे देशों में अधिक प्रचलित है। वर्तमान आवश्यकता को देखते हुए संस्था के माध्यम से इसके उपयोग का निर्णय लिया गया है। यह छत्तीसगढ़ में पहली बार है कि कृषि कार्य हेतु हेलीकॉप्टर का प्रयोग किया जायेगा। कलेक्टर ने उन्हें जिले के कृषकों के साथ मिलकर खाद्य प्रसंस्करण ईकाइयों का निर्माण कर कृषकों के सहयोग हेतु कहा, जिस पर श्री त्रिपाठी द्वारा सहर्ष कृषकों के सहयोग की बात कही।

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