Wednesday, September 3

रामायण मानस गायन से
  •    

छत्तीसगढ़ प्रभु श्री राम का ननिहाल भी है। उन्होंने अपने वनवास काल में सर्वाधिक समय छत्तीसगढ़ में बिताया, इसलिए पूरा छत्तीसगढ़ राममय है। भांजा राम की याद में यहां हर परिवार में अपने भांजे में प्रभु श्री राम जैसी छवि देखते है। प्रभु श्री राम के स्मृतियों को ताजा करने के लिए राज्य शासन द्वारा राम वन गमन पथ का निर्माण किया जा रहा है। प्रभु श्री राम के वनवास काल की सुन्दर प्रस्तुति अरण्य काण्ड में है, जिसमें उनके वनवास काल का विवरण है। हाल ही में रायगढ़ में आयोजित रामायण महोत्सव में देश-विदेश की कलाकारों ने सुन्दर प्रस्तुति देकर अरण्य काण्ड को जीवन्त कर दिया।
छत्तीसगढ़ में वनवासी राम का सम्पूर्ण जीवन सामाजिक समरसता का प्रतीक है, यहां उन्होंने सदैव समाज के सबसे अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को गले लगाया। राम ने दंडकारण्य की धरती से पूरी दुनिया तक “सम्पूर्ण समाज एक परिवार है” का संदेश दिया। छत्तीसगढ़ की इस गौरवशाली आध्यात्मिक विरासत से नई पीढ़ी को अवगत कराने के इस तरह का आयोजन प्रशंसनीय कदम हैं।
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों मे बहुत पहले से ही नवधा रामायण के आयोजन की परंपरा रही है। नवधा रामायण के माध्यम से रामयण मंडली भगवान श्री राम की जीवन-गाथा को गाकर लोगों को जीवन की सीख देते है और यही परंपरा आज भी चली आ रही है। बतां दें कि नवधा रामायण का आयोजन ग्रामीण क्षेत्रो में ज्यादातर चैत्र मास में किया जाता है। यह हिन्दु नववर्ष का प्रारंभ होने का समय भी होता है। इसी दिन से साल के प्रथम नवरात्रि भी प्रारंभ होता है, नौ दिनों का यह पर्व रामनवमी पर समाप्त होता है।
यही सब कारण है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने रामायण मानस गान की ऐतिहासिक महत्ता को देखेते हुए इसे राज्य स्तर पर आयोजन करने का निर्णय लिया। छत्तीसगढ़ को भगवान श्री राम की माता कौशल्या की जन्मभूमि माना जाता है। इस नाते उन्हें छत्तीसगढ़ में भांजे का दर्जा प्राप्त है। प्रदेश में माता कौशल्या भी आराध्य हैं। चंदखुरी में देश का इकलौता कौशल्या माता का मंदिर निर्मित है।
देश में पहली बार छत्तीसगढ़ में शासकीय रूप से राष्ट्रीय स्तर पर रामायण महोत्सव के  सराहनीय आयोजन से श्री राम जी के आदर्श चरित्र को जानने-समझने का अवसर मिला। वहीं सांस्कृति आदान-प्रदान के साथ ही रामायण का एक नया स्वरूप भी देखने को मिला। छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक मानचित्र में रामायण मंडली एक अभिन्न अंग है। छत्तीसगढ़ की धरा से भगवान राम के जुड़ाव के कई प्रसंग मिलते हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़ में रामायण मानस गान की ऐतिहसिक और पौराणिक महत्त को ध्यान में रखते हुए उसे सहेजने एवं संवारने का काम किया जा रहा है।
रामायण महोत्सव का पहला आयोजन माता शबरी की पावन धरा शिविरीनारायण में हुआ। यह वहीं स्थान है जहां माता शबरी ने भगवान श्री राम और लक्ष्मण को वनवास काल के दौरान जुठे बेर खिलाये थे। दूसरा आयोजन छत्तीसगढ़ के प्रयागराज के रूप में प्रसिद्ध त्रिवेणी संगम राजिम में सम्पन्न हुआ। इसी कड़ी में तीसरा और भव्य आयोजन संस्कार धानी रायगढ़ में हुआ, इस आयोजन में देश-विदेश से आए रामायण मंडलियों और कलाकरों ने इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के आयोजन बना दिया। मानस गायन को लेकर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में कीर्तिमान दर्ज हुआ।
रायगढ़ में हुए राष्ट्रीय रामायण महोत्सव में देश के 13 राज्यों सहित इंडोनेशिया और कम्बोडिया के रामायाण मंडली के कलाकरों द्वारा भी विशेष प्रस्तुती दी गई। रामायण मानस गान को सहेजने राज्य के 4850 मंडलियों को वाद्य यंत्रों के लिए लगभग ढाई करोड़ रूपए की राशि का सहयोग दी गई। मानस गायन के लिए राज्य स्तर पर प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले दलों को क्रमशः पांच लाख, तीन लाख और दो लाख रूपए का पुरस्कार भी प्रोत्साहन स्वरूप प्रदान किए गए।

घनश्याम केशरवानी   ओमप्रकाश डहरिया

[metaslider id="184930"
Advertisement Carousel
Share.

Comments are closed.

chhattisgarhrajya.com

ADDRESS : GAYTRI NAGAR, NEAR ASHIRWAD HOSPITAL, DANGANIYA, RAIPUR (CG)
 
MOBILE : +91-9826237000
EMAIL : info@chhattisgarhrajya.com
September 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
2930