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बाबा महाकाल की नगरी में अब दो ‘राजा’ कैसे रहेंगे…..? कोई राजा अपनी रात उज्जैन में क्यों नहीं गुजारता?

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सोमवार को हुई बीजेपी विधायक दल की बैठक में डॉ मोहन यादव को नेता चुन लिया गया. सूबे के मनोनीत मुख्यमंत्री उज्जैन दक्षिण सीट से तीसरी बार बीजेपी के विधायक चुने गए हैं. शिवराज सिंह चौहान सरकार में मोहन यादव उच्च शिक्षा मंत्री भी थे. एक तरफ जहां मोहन यादव को मध्य प्रदेश का नया मुख्यमंत्री मनोनीत होने पर बधाइयां मिल रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने नया राग छेड़ दिया. MP कांग्रेस ने पूछा है कि बाबा महाकाल की नगरी में अब दो राजा कैसे रहेंगे?
मध्य प्रदेश कांग्रेस की मीडिया विंग के चेयरमैन केके मिश्रा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सूबे के नवघोषित मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. साथ ही सवाल पूछा है, ”क्या कोई सनातनी यह बताएगा कि बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में अब दो राजा कैसे रहेंगे…..?”
दरअसल, मान्यता है कि उज्जैन के राजा भगवान महाकालेश्वर यानी बाबा महाकाल हैं. महाकाल से बड़ा शासक कोई नहीं है. पौराणिक कथाओं के अनुसार कोई भी राजा उज्जैन में रात्रि निवास नहीं करता है, क्योंकि एक शहर में दो राजा नहीं ठहर सकते हैं. अगर कोई भी राजा या मंत्री यहां रात में ठहरता है, तो उसे इसकी सजा भुगतनी पड़ती है.
कोई राजा अपनी रात उज्जैन में क्यों नहीं गुजारता?
उज्जैन के राजा विक्रमादित्य थे. विक्रमादित्य के राजा बनने से पहले उज्जैन पर शासन करने वाली की मृत्यु निश्चित हो जाती थी. साधु-संतों और ज्ञानियों की सलाह के बाद विक्रमादित्य ने राज्य की गद्दी को बाबा महाकाल के नाम से चलाने का फैसला किया. तब से आजतक ये प्रथा चली आ रही है. मान्यताओं के अनुसार, उज्जैन के राजा केवल महाकाल हैं. इसलिए आज भी उज्जैन को लेकर यही मान्यता है कि अगर कोई भी राजा यानी अब प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री उज्जैन शहर की सीमा के भीतर रात बिताते हैं, तो उन्हें इस अपराध का दंड भुगतना होता है.
मोरारजी देसाई और येदियुरप्पा की कुर्सी का किस्सा
बताया जाता है कि भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई एक रात उज्जैन में रुके थे. इसके बाद दूसरे दिन ही कथित रूप से देसाई को अपने पद से हाथ धोना पड़ा था. तब से आज तक कोई भी प्रधानमंत्री उज्जैन में नहीं रुका. यही नहीं, दावा किया जाता है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने भी एक बार उज्जैन में रात्रि विश्राम किया था. इसके 20 दिन बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ गया.

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