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ग्रीष्मकालीन धान के बदले रागी फसल है फायदे का सौदा

राजनांदगांव  जिले में रबी फसलों की बुवाई का कार्य लगातार जारी है। जिले को इस बार 82 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसल का लक्ष्य प्राप्त हुआ है। राजनांदगांव दलहनी फसलों की खेती और उत्पादन के लिए विशेष स्थान रखता है। जहां 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में चना फसल ली जाती है। वहीं 18 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूँ तथा तिवड़ा फसल लिया जाता है, परन्तु पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि किसानों का रूझान ग्रीष्मकालीन धान लगाने पर अधिक रहता है। जबकि खरीफ में अधिकतर धान की फसल लिया जाता है।धान के बाद धान फसल लेने से एक ओर जहां मृदा की भौतिक संरचना व उर्वरता पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ता है, वहीं दूसरी ओर लगातार खरपतवारनाशी, कीटनाशी के छिड़काव से भूमि व पर्यावरण दूषित होता है।

चूंकि जिला वृष्टिछाया क्षेत्र अंतर्गत आता है। जिसमें इस वर्ष खरीफ को छोड़कर पिछले सालों में औसत से कम वर्षा दर्ज किया जाता है। जिसके कारण विकासखंड राजनांदगांव एवं डोंगरगांव भू-जल सर्वेक्षण (स्टेट ग्राऊंड वाटर बोर्ड) अंतर्गत सेमी क्रिटिकल जोन के अंतर्गत आते है। ऐसी स्थिति में समृद्ध खेती के संभावनाओं से भरपूर इन दो विकासखंडों में प्रत्येक वर्ष ग्रीष्मकालीन धान लिया जाना भविष्य में गंभीर समस्या को जन्म दे सकता है। चूंकि धान जल मांग 130-150 सेंटीमीटर प्रति हेक्टेयर है। जिसका अर्थ होता है, 1 किलोग्राम चावल पैदा करने के लिए 3-5 हजार लीटर पानी का व्यय होता है। जबकि मक्का के लिए 50-60 सेंटीमीटर पानी प्रति हेक्टेयर, गेहूँ के लिए 45-50 सेंटीमीटर, उड़द एवं मूंग के लिए 25-30 सेंटीमीटर, चना-मसूर-सरसों के लिए 24-30 सेंटीमीटर प्रति हेक्टेयर पानी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार से देखे तो 1 हेक्टेयर धान के पानी में 3 हेक्टेयर गेहूं या मक्का तथा 5 हेक्टेयर क्षेत्र में दलहनी फसल ली जा सकती है। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लघु धान्य फसले-रागी एवं कोदो को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिसके लिए क्षेत्र में अनुकूल जलवायु उपलब्ध है। साथ ही रागी फसल विभिन्न लाभकारी गुणों के साथ-साथ बाजार में अच्छे दामों पर विक्रय किया जाता है। कृषि विभाग राजनांदगांव द्वारा रागी फसल लगाने के लिए इच्छुक किसानों को प्रतिहेक्टेयर 6000 रूपए का आदान सामग्री जिसमें नि:शुल्क रागी बीज, खेतों की उर्वरक बढ़ाने के लिए 200 किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट, जिंक सल्फेट, पीएसबी कल्चर तथा कीट व बीमारियों से लडऩे के लिए जैविक कीटनाशक नीम आईल 1.50 लीटर प्रति हेक्टेयर नि:शुल्क उपलब्ध कराया जायेगा। इच्छुक किसान रागी फसल के लिए पंजीयन कराने हेतु अपने-अपने विकासखंड में वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी से सम्पर्क कर सकते हंै अथवा जिला स्तर पर पंजीयन कराने के लिए  शेखर श्रीवास्तव, मोबाईल नबंर 7000233341, कार्यालय उप संचालक कृषि एवं राजू साहू, डिप्टी प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर आत्मा मोबाईल मो.न. 9907027086 से सम्पर्क कर पंजीयन हेतु नाम दर्ज करा सकते है। 

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