Home » सप्रे जी के समय राष्ट्रीय स्तर पर पहचान था गौरेला-पेन्ड्रा का
Breaking एक्सक्लूसीव छत्तीसगढ़ देश

सप्रे जी के समय राष्ट्रीय स्तर पर पहचान था गौरेला-पेन्ड्रा का

गौरेला-पेन्ड्रा की पहचान गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर और श्री माधवराव सप्रेजी के समय राष्ट्रीय स्तर पर थी। सौ साल पहले घने पेड़ों के बीच स्थित गौरेला-पेन्ड्रा का जलवायु टीबी रोग के लिए एन्टीबायोटिक था, जिसके कारण तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने गौरेला-पेन्ड्रा में टीबी रोग के इलाज के लिए सेनेटोरियम अस्पताल की स्थापना की थी। उस समय भारत के चुनिंदा स्थानों में सेनेटोरियम अस्पताल थी। गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर अपनी पत्नी मृणालिनी देवी के टीबी रोग का इलाज कराने गौरेला-पेन्ड्रा के सेनेटोरियम में सितंबर 1902 में आए थे। इलाज के दौरान करीब 2-3 माह के मध्य उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई। गुरूदेव जब वापस घर जा रहे थे, तब बिलासपुर स्टेशन में रेलगाड़ी के इंतजार में ‘‘फांकी’’ कविता लिखी, जिसे बिलासपुर स्टेशन ने धरोहर के रूप में सजा का रखा है। वर्तमान में गौरेला-पेन्ड्रा के सेनेटोरियम परिसर स्थित साधु हाल में छत्तीसगढ़ सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के सुपोषण पुनर्वास केन्द्र संचालित है। सेनेटोरियम को कोविड अस्पताल बनाया गया है। सेनेटोरियम परिसर में नवीन जिला अस्पताल संचालित है और 100 मीटर की दूरी पर गुरूकुल परिसर है। वर्तमान में जिला कलेक्ट्रेट का कार्यालय और शासकीय गुरूकुल विद्यालय संचालित है। सेनेटोरियम और गुरूकुल परिसर में आज भी विशाल बरगद सहित घने पेड़ आज भी विरासत के रूप में मौजूद हैं।
इसी प्रकार हिन्दी साहित्य के चिंतक, पत्रकार, लेखक श्री माधवराव सप्रे जी ने जनवरी 1900 में ‘‘छत्तीसगढ़ मित्र’’ नामक अखबार का संपादन पेन्ड्रा से किया था। यह समाचार पत्र ब्रिटिश काल में राष्ट्रीय स्तर का था। सप्रेजी ने आजादी की शंखनाद के लिए जन-जन तक देशप्रेम की अलख जगाने और राष्ट्रीय आंदोलन में जनता के सहयोग के लिए पत्रकारिता से अपना संदेश दिया। वे पेन्ड्रा में ‘‘छत्तीसगढ़ मित्र’’ का संपादन लगभग तीन वर्ष तक किए। बाद में वे हिन्दी केसरी का संपादन किए। सप्रेजी को राष्ट्रीय कवि श्री माखनलाल चतुर्वेदी जी के साहित्यिक गुरू माना जाता है। 
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने गौरेला-पेन्ड्रा मरवाही जिला का स्थापना 10 फरवरी 2020 को किया। जिला स्थापना के वर्षगांठ को अरपा महोत्सव के रूप मनाया जाता है। पर्यटन की दृष्टि से आज भी गौरेला-पेन्ड्रा मरवाही जिला प्रकृति से आच्छादित है। अचानकमार टाइगर रिजर्व वन परिक्षेत्र और मध्यप्रदेश का अमरकंटक धार्मिक स्थल निकटतम स्थित गौरेला और पेन्ड्रा के मध्य 8 किमी की दूरी है। गौरेला-पेन्ड्रा मरवाही जिले के मुख्यालय पहुंचने के लिए बिलासपुर-कटनी रेलमार्ग पर पेन्ड्रारोड स्टेशन स्थित है। गौरेला-पेन्ड्रा मरवाही जिला सड़क और रेल दोनों मार्ग से पहुंचा जा सकता है। 

Cricket Score

Advertisement

Live COVID-19 statistics for
India
Confirmed
0
Recovered
0
Deaths
0
Last updated: 22 minutes ago

Advertisement

error: Content is protected !!