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कृषि विश्वविद्यालय में नाभिकीय कृषि अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी केन्द्र खोलने का प्रस्ताव

रायपुर में कैंसर रोगियों के लिए साइक्लोट्रॉन यूनिट स्थापित करने की मांग

केन्द्रीय परमाणु ऊर्जा विभाग की संयुक्त सचिव ने जल्द कार्यवाही का दिया आश्वासन

रायपुर। भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग की संयुक्त सचिव (अनुसंधान एवं विकास) श्रीमती सुषमा तायशेते ने आज यहां इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के नॉलेज सेन्टर में कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह, मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल के साथ आयोजित बैठक में छत्तीसगढ़ में कृषि में नाभिकीय ऊर्जा के उपयोग तथा अनुसंधान की संभावनाओं के संबंध में विचार-विमर्श किया। उन्होंने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा भाभा अटॉमिक रिसर्च सेन्टर, मुंबई के साथ किये गये अनुबंध के तहत किये गये अनुसंधान कार्यां एवं उपलब्ध्यिं की समीक्षा भी की। कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने छत्तीसगढ़ में कैंसर रोगियों की जांच के लिए आवश्यक पेट स्कैन यूनिट में उपयोगी पदार्थ सायक्लोट्रॉन यूनिट की रायपुर में स्थापना किये जाने की मांग की। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने विश्वविद्यालय परिसर में नाभिकीय कृषि अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी केन्द्र की स्थापना किये जाने की मांग की। श्रीमती तायशेते ने इन दोनों ही प्रस्तावों पर सहमति व्यक्त करते हुए भारत सरकार की ओर से जल्द ही कार्यवाही किये जाने का आश्वासन दिया। भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग की संयुक्त सचिव श्रीमती सुषमा तायशेते ने आज यहां इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में भाभा परमाणु ऊर्जा अनुसंधान संस्थान तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के मध्य संपादित अनुबंध के तहत किये जा रहे अनुसंधान एवं विकास कार्यां का जायजा लिया। उन्होंने इस परियोजना के तहत विकसित की गई धान, गेहूँ तथा अन्य फसलों की नवीन उन्नत एवं म्यूटेन्ट किस्मों का अवलोकन किया। परियोजना समन्वयक डॉ. दीपक शर्मा ने उन्हें बताया कि भाभा परमाणु ऊर्जा संस्थान के साथ हुए अनुबंध के अंतर्गत इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में धान की पांच म्यूटेन्ट प्रजातियों – विक्रम टी.सी.आर., जवाफूल म्यूटेन्ट, दुबराज म्यूटेंट, विष्णुभोग म्यूटेन्ट तथा बादशाह भोग म्यूटेन्ट सहित विभिन्न फसलों की 16 म्यूटेन्ट किस्में विकसित की गई हैं। इस परियोजना के तहत तिवड़ा की सफेद छिलके वाली नवीन किस्म विकसित की गई है। इसी प्रकार धान की परंपरागत लायचा, गठवन और महराजी किस्मों में कैंसर रोधी, गठिया रोधी तथा अन्य औषधीय गुणों की पहचान की गई है। उन्होंने बताया कि परियोजना के तहत अबतक विभिन्न फसलों से 26 रेडी टू ईट उत्पाद तैयार किये गये हैं। इसी प्राकर कृषि विश्वविद्यालय के 27 शोधार्थियों ने भाभा अटॉमिक रिसर्च सेन्टर में अपना शोध कार्य पूर्ण कर लिया है। उल्लेखनीय है कि भाभा अटॉमिक रिसर्च सेन्टर एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के मध्य वर्ष 2014 में विभिन्न फसलों में नाभिकीय ऊर्जा के प्रयोग तथा अनुसंधान के लिए 10 की अवधि हेतु अनुबंध किया गया था, जो वर्ष 2024 तह कार्यशील रहेगा। अनुबंध की अवधि बढ़ाने के लिए कृषि विश्वविद्यालय एवं भाभा अटॉमिक रिसर्च सेन्टर के मध्य विचार विमर्श जारी है। बैठक में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. विवेक त्रिपाठी, निदेशक विस्तार डॉ. अजय वर्मा, निदेशक प्रक्षेत्र एवं बीज डॉ. एस.एस. टुटेजा, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय डॉ. जी.के. दास, अधिष्ठाता कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय डॉ. विनय पाण्डेय, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. संजय शर्मा सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष तथा भाभा अटॉमिक रिसर्च सेन्टर मुंबई के वरिष्ठ वैज्ञानिक उपस्थित थे।

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