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MBBS न मिले तो आयुर्वेद चुनिए, यहां भी ढेरों मौके, जानिए BAMS के बाद क्या ऑप्शन होते हैं?

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आयुष मंत्रालय की पहल और कुछ अन्य सुविधाओं की मंजूरी के बाद बीएएमएस करने वालों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है. जिन युवाओं का MBBS में एडमिशन नहीं हो पा रहा है, वे बीडीएस की जगह आयुर्वेद को ज्यादा महत्व दे रहे हैं. NEET 2023 का टेस्ट आगामी 7 मई को तय है. रिजल्ट के बाद स्टूडेंट्स इसी ऊहापोह में फंस जाते हैं कि MBBS में नहीं हुआ तो आगे क्या करें? कुछ तो ड्रॉप कर अगले साल फिर से नीट देने के बारे में सोचना शुरू कर देते हैं. इस कॉपी में बीएएमएस के बाद करियर संभावनाओं की चर्चा होगी. बताएंगे कि एमबीबीएस ही मेडिकल स्टूडेंट के लिए आखिरी पायदान नहीं है, रास्ते और भी हैं. उनमें से सबसे बेहतरीन Ayurveda Course का रास्ता है का.

BAMS करने के बाद अनेक रास्ते

साढ़े चार साल का कोर्स और एक साल की इंटर्नशिप के बाद आप के लिए प्रैक्टिस के रास्ते तो खुलते ही हैं, सरकारी सेवाओं में मेडिकल ऑफिसर या शोध अधिकारी के रूप में भी आप करियर शुरू कर सकते हैं. भारत सरकार और राज्य सरकारें इसके लिए समय-समय पर भर्तियां निकालती रहती हैं. स्टूडेंट पीजी और उसके बाद पीएचडी का रास्ता चुन सकते हैं. अगर सरकारी कॉलेज से पीजी करते हैं या पीएचडी करते हैं तो 40-50 हजार रुपये का स्टाइपेंड मिलता है. ऐसे में पढ़ाई करने में वित्तीय बोझ नहीं पड़ता. आसानी से कोई भी युवा इसे करते हुए अपने करियर को नई ऊंचाई तक ले जा सकता है. अगर आपने सर्जरी में पीजी कर ली है तो एलोपैथ वाले अपने साथियों की तरह सर्जरी कर सकते हैं. इसके लिए भारत सरकार ने अनुमति दे रखी है. आयुर्वेद के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बाबूराम त्रिपाठी कहते हैं कि केंद्र की इस अनुमति के बाद प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सक 50 से ज्यादा तरह की सर्जरी कर सकते हैं. प्राइवेट दवा कंपनियों में बड़ी संख्या में आयुर्वेद डॉक्टर लगे हुए हैं. इनकी संख्या हजारों में है. पतंजलि, श्रीश्री रविशंकर, वैद्यनाथ, डाबर जैसे अनेक ग्रुप सैकड़ों की संख्या में आयुर्वेद चिकित्सक अपने यहां रिसर्च आदि के लिए रखते हैं.

आयुर्वेद के डॉक्टरों की मांग बढ़ी

एजुकेशन में भी योग एवं आयुर्वेद के डॉक्टरों की मांग बढ़ी है. डॉ त्रिपाठी कहते हैं कि अब एलोपैथी मेडिकल कालेजेज में पंचकर्म सेंटर एवं क्षार सूत्र केंद्र खोलने की शुरुआत हो चुकी है. आयुर्वेद डॉक्टर ही भर्ती किए जा रहे हैं. आयुर्वेद डॉक्टर एवं पंचकर्म विशेषज्ञ डॉ वंदना, डॉ त्रिपाठी से सहमति जताती हैं. उनका कहना है कि अगर किसी स्टूडेंट का किन्हीं कारणों से एमबीबीएस में नहीं हो पाता है तो वे बिना निराश हुए बीएएमएस कर सकते हैं. भविष्य सुरक्षित है. मान-सम्मान और पैसे की भी कमी नहीं है.

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