राम नवमी के पावन त्योहार पर श्री राम के भक्तों द्वारा विशेष जप-तपस्या-पूजा की जाती है। राम नवमी के अवसर पर प्रभु मर्यादा पुरुषोत्तम की स्तुति के लिए श्री राम तारक मंत्र का जप करने से विशेष लाभ मिलते हैं। श्री राम तारक मंत्र का एक बार जप करना ही सनातन धर्म में विष्णु भगवान के 1000 नामों के जप के बराबर माना जाता है। राम जी को समर्पित इस मंत्र को श्री राम रक्षा स्तोत्रम् के नाम से भी जाना जाता है। जिसका नियमित रूप से जप करने पर राम भक्तों के जीवन के सभी दुख, दर्द और कष्टों का निवारण हो जाता है।
श्री राम का विशेष राम तारक मंत्र
जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगाज करने हेतु राम नवमी के पावन अवसर पर भक्तगण मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के इस मंत्र का जप अवश्य करें –
मंत्र: श्री राम रामेति रोमेति, रमे रामे मनोरमे।
सहस्रनाम तत्तुल्यं, श्री राम-नाम वरानने॥
अर्थ: निम्म पंक्तियों में माता पार्वती और भगवान शिव के बीच का एक मनोरम प्रसंग दर्शाया गया है। जिसमें प्रभु माता पार्वती से राम नाम का जप करने की बात कहते हैं। शिव जी कहते हैं कि, मुख में श्री राम का नाम विराजमान होने से बसने से राम सारे दुखों का निवारण कर देते हैं। इस द्वादशाक्षर नाम का सोते, जागते और सपने देखते वक्त भी जप करना चाहिए। हे पार्वती मैं भी श्री राम के इसी मनोरम नाम में रमता हूं। ये राम नाम विष्णु के सहस्रनाम यानी की 1000 नामों के तुल्य है।
भगवान श्री राम का ये रामरक्षा मंत्र राम भक्तों के जीवन में खुशी, सकारात्मकता, शांति और समृद्धि की लहर पैदा कर देता है। मर्यादा पुरुषोत्तम का नाम ही, जीवन के हर दुख, कष्ट, मुसीबत का निवारण करने के लिए काफी माना गया है। वहीं अगर आप इस सिद्ध चमत्कारी मंत्र का सच्चे दिल से राम नवमी के दिन जप करेंगे, तो प्राणी मात्र का उद्दार होना तय है।
रामरक्षा मंत्र से जुड़ी कथा
श्री राम तारक मंत्र का जप करने के साथ साथ इससे जुड़ी कथा के बारे में जानना तथा कथा का पाठ करना भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां पढ़े श्री राम रक्षा मंत्र की कथा –
एक बार परमपिता परमात्मा भगवान भोलेनाथ अपनी अर्धांगिनी जगतजननी माता पार्वती से साथ भोजन करने का आग्रह कर रहे थे। भगवान शिव की पुकार पर माता पार्वती ने उनकी बात ये कहते हुए टाल दी थी कि वे इस वक्त सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु की जप, तपस्या और पाठ कर रही हैं। माता का जवाब सुन शिव जी ने कुछ वक्त इंतजार करना ठीक समझा, हालांकि कुछ देर के पश्चात उन्होंने एक बार फिर माता को साथ भोजन ग्रहण का आग्रह करते हुए आवाज दी। जिसपर माता पार्वती ने एक बार शिव जी की बात ये कहकर टाल दी कि वे विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने के बाद ही अपने आसन से उठेंगी। जिसपर भगवान शिव माता के पास गए और उनसे राम राम का जप करने को कहा, शिव शंकर ने कहा कि हे पार्वती एक बार राम का नाम लेना ही विष्णुसहस्रनाम के बराबर माना जाता है। मैं भी हमेशा राम का ही नाम रमता रहता हूं, भगवान शिव की ये बात सुनकर माता पार्वती ने राम के इस व्द्यक्षर नाम का जप किया और जप सम्पन्न कर प्रसन्नता के साथ भगवान शिव के साथ भोजन ग्रहण किया।