हिंदू धर्म में पैर छूने की परंपरा है. हम बचपन से ही बच्चों को बड़े-बुजुर्ग, माता-पिता, गुरु और सम्मानजनक लोगों के पैर छूना सिखाते हैं. पैर छूने से बड़ों का आशीर्वाद मिलता है. हिंदू धर्म के साथ ही वैज्ञानिक तौर पर भी पैर छूने के लाभ के बारे में बताया गया है. सनातन धर्म में पैर छूने की परंपरा सदियों पुरानी है और आज भी इस परंपरा का पालन किया जाता है. लेकिन शास्त्रों में कुछ ऐसी स्थितियों का जिक्र किया गया है, जब पैर छूना अशुभ माना जाता है. इसलिए अगर बड़े-बुजुर्ग ऐसी स्थिति में रहें तो पैर नहीं छूना चाहिए. इन स्थितियों में पैर छूना अशुभ माना गया है.
ऐसी स्थिति में कभी नहीं छूएं बड़े-बुजुर्गों के पैर
मंदिर: मंदिर ईश्वर का वास स्थान होता है. यह ऐसा स्थान होता है, जहां ईश्वर से अधिक सम्मान जनक और बड़ा कोई नहीं. इसलिए अगर कोई बड़े-बुजुर्ग मंदिर में हों तो ऐसे समय में उनके पैर छूकर आशीर्वाद नहीं लेना चाहिए. इससे ईश्वर का अपमान होता है.
शमशान: कोई ऐसा व्यक्ति जो शमशान में हो या शमशान से लौट रहा हो तब भी उसके पैर नहीं छूने चाहिए. फिर चाहे व्यक्ति आपसे उम्र में कितना ही बड़ा क्यों न हो. ऐसी स्थिति मे पैर छूना अशुभ माना जाता है. क्योंकि शमशान से लौटे व्यक्ति को अशुद्ध माना जाता है. जब वह स्नान कर शुद्ध हो जाए तब आप उसके पैर छू सकते हैं.
पूजा कर रहे व्यक्ति: ऐसा व्यक्ति जो पूजा-पाठ में लीन हो तो उस समय उसके पैर न छूएं. आप उसकी पूजा समाप्त होने का इंतजार कर सकते हैं. क्योंकि ऐसा करने से उसकी पूजा भंग हो सकती है या पूजा में बाधा उत्पन्न होती है, जिसे सही नहीं माना जाता है.
सोया हुआ व्यक्ति: कोई व्यक्ति बिस्तर में आराम कर रहा हो, सोया हुआ हो या लेटा हुआ हो, तब भी उसके पैर न छूएं. ऐसी स्थिति में पैर छूना बहुत ही अशुभ माना जाता है. क्योंकि इससे उस व्यक्ति की उम्र घटती है. हिंदू धर्म में केवल मरे हुए व्यक्ति के पैर ही ऐसी स्थिति में छूने का विधान है. यदि किसी कारण व्यक्ति बिस्तर से उठ नहीं पाए तो आप हाथ जोड़कर उन्हें प्रणाम कर सकते हैं.
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