आज की दुनिया बड़े ही तेज तर्रार लोगों के भरी हुई है। इन लोगों से प्यार करना या फिर इनके साथ रिश्ते निभाना हर किसी के बस की बात नहीं है। बहुत ही कम लोगों को आज के समय में सच्चा प्यार मिल रहा है। वरना ज्यादातर लोगों का अनुभव प्यार और रिश्तों को लेकर ज्यादा अच्छा नहीं है या फिर कह सकते हैं कि बहुत ही ज्यादा बुरा है। ऐसे में अगर आप रिश्ते के बुरे अनुभवों से बचना चाहते हैं तो समय रहते अपने पार्टनर के साथ अपने तालमेल को मजबूत करने पर ध्यान दें। भगवद् गीता से रिश्तों को मजबूत करने की सीख ली जा सकती है। भगवान श्रीकृष्ण ने जीवन और रिश्तों पर कई उपदेश दिए हैं, जो लोगों की लव लाइफ को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। चलिए जानते हैं इनके बारे में-
आत्मबोध (खुद को समझना जरुरी)- भगवद् गीता में बताया गया है कि दूसरों से पहले खुद को समझना रिश्तों को मजबूत करने का जरिया है। खुद को समझने का मतलब है अपनी इच्छाओं, भय, शक्तियों और कमजोरियों का पता होना। जब आप अपनी इन चीजों पर ध्यान देते हैं तभी दूसरों की जरूरतों और इच्छाओं का बेहतर ढंग से ख्याल रख पाते हैं और ये चीज आपके रिश्ते को मजबूत बनाती है।
आसक्ति और वैराग्य (किसी का मोह न रखें)- भगवद् गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि लोगों को अपने जीवन में सुख भोगने के लिए वैरागी होना प?ता है। वैरागी बनने के लिए आपको अपने पार्टनर को छो?ने की जरूरत नहीं है। इसका मतलब यह है कि पार्टनर से आप किसी भी तरीके का मोह न रखें। जब आप किसी से मोह करने लगते हैं तो आप उस व्यक्ति से अपेक्षा लगाने लगते हैं, जो पूरी ना होने हो तो निराशाओं का कारण बन जाती हैं। इन चीजों से रिश्ते कमजोर होते हैं।
धर्म और कर्तव्य (जिम्मेदारी को समझना जरुरी)- भगवद् गीता में बताया गया है कि एक व्यक्ति अपने रिश्ते में सकारात्मक योगदान तभी दे सकता है, जब वह पार्टनर के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझता हो। रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए लोगों को अपनी जिम्मेदारी का पता होने के साथ इन्हें पूरा करने की समझ भी होनी चाहिए। ऐसा करने से रिश्ते सकारात्मक तरीके से आगे ब?ते हैं।