मसाले के तौर पर इस्तेमाल होने वाले प्याज, लहसुन और लाल मिर्च ब्लोटिंग का कारण बन सकते हैं. कच्चे लहसुन में तीखी गंध और टेस्ट होता है। लहसुन में फ्रुक्टेन, घुलनशील फाइबर भी पाए जाते हैं, जिन्हें पचाना बेहद मुश्किल होता है. साथ ही लाल मिर्च दर्द, जलन, मतली और सूजन की भी समस्या पैदा कर सकती है।
जीरा
जीरे में कई मेडिसिनल गुण होते हैं. ऐसे में इसका चिकित्सीय इस्तेमाल में भी किया जा सकता है. जीरे में एंटी डायबिटिक, एंटी इन्फ्लेमेटरी और कार्डियो प्रोटेक्टिव इफेक्ट भी मौजूद होते हैं. जीरा हमारी आंतों की सेहत को भी ठीक रखता है। जीरा बाइल प्रोडक्शन को बूस्ट करता है, जो हमारे पाचन सिस्टम के लिए एक संतुलित पाचन के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
सौंफ
सौंफ में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीमाइक्रोबॉयल, एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटी फंगल कंपाउंड्स रहते हैं। यह सभी कंपाउंड पेट के लिए अच्छे रहते हैं और ब्लोटिंग को कम करते हैं। सौंफ में एंटीस्पास्मोडिक और एनेथोल एजेंट भी मौजूद रहते हैं. सौंफ आंतों में मौजूद हानिकारक माइक्रोऑर्गेनाइज्म को कम करती है।
काली मिर्च
काली मिर्च हमारी किचन में मौजूद रहता है। काली मिर्च में पिपरिन नाम का एक पावरफुल कंपाउंड मौजूद रहता है. जो हमारी पाचन प्रक्रिया को बढ़ावा देने के साथ ही शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषण को भी बढ़ावा देते हैं. काली मिर्च में पाया जाने वाला कंपाउंड गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक में ब्लड फ्लो बढ़ाने का काम करते हैं।
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