Tuesday, August 26

हमर संस्कृति म देवी-देवता मन के सुरता अउ पूजा-पाठ करे के संगे-संग अपन पुरखा मनला घलोक सुरता करे अउ श्रद्धा के साथ जल तरपन करे के रिवाज हे, जेला हमर इहां पितर पाख के नांव ले जाने जाथे। पितर पाख ल कुंवार महीना के अंधियारी पाख म मनाए जाथे। लगते कुंवार के पितर बइसकी होथे जेन ह अमावस्या के पितर-खेदा के संग पूरा होथे। पितर पाख म अपन पुरखा मन के कम से कम तीन पीढ़ी के सुरता करे जाथे। एमा जेन तिथि म वोकर मन के स्वर्गवास होए रहिथे। तेनेच तिथि म उंकर नांव ले विशेष रूप ले जल अरपन करके चीला, बोबरा, बरा आदि के भोग लगाए जाथे। फेर माई लोगिन मनला पहिली बछर तो ओकर स्वर्गवास के तिथि म पितर मिलाय के नेंग ल करे जाथे, वोकर बाद फेर सिरिफ नवमीं तिथि म उंकर तरपन कर दिए जाथे। माने नवमी तिथि ह जम्मो महिला मन के पितर-तिथि कहे जा सकथे। पितर पाख के लगते माई लोगिन मन घर के दुवारी ल बने गोबर म लीप के वोमा चउंक, रंगोली आदि बनाथें अउ फूल चढ़ा के सजाथें। वोकर पाछू उरिद दार के बरा बनाथें जेमा नून नइ डारे जाय। संग म बोबरा, गुरहा चीला आदि घलोक बनाए जाथे अउ साग के रूप म तरोई ल आरुग तेल म छउंके जाथे। ए जानबा राहय के ए पाख म तरोई के विशेष महत्व होथे। घर के दरवाजा म जेन गोबर लीप के चउंक पूरे जाथे वोमा आने फूल मन के संगे-संग तरोई के फूल घलोक चढ़ाए जाथे। वइसने साग तो सिरिफ तरोई ल तेल म छउंक के दिए जाथे अउ पितर मनला जेन जगा हूम-धूप अउ बरा-बोबरा दिए जाथे उहू ल तरोई के पान म रख के दिए जाथे। अइसे मानता हे के तरोई तारने वाला जिनीस आय काबर ते ये शब्द के उत्पत्ति तारन ले तरोई होए हे। वइसे तरोई ह पाचक अउ स्वादिष्ट होथे जेमा अनेकों किसम के पुस्टई होथे फेर बने नरम-नरम घलोक होथे, जेला भोभला डोकरा-डोकरी मन आसानी के साथ पगुरा के लील डारथें। आखिर पितर मन ला तो हमन उहिच रूप म सुरता करथन न। वइसे तो अपन पुरखा मन के कई पीढ़ी तक के सुरता अउ तरपन करना चाही फेर जे मन अइसन करे म अपन आप ल सक्षम नइ पावंय वोमन पितर पाख म गया जी (बिहार राज्य) म जाके उंकर तरपन करके हर बछर के सुरता अउ तरपन ले मुकति पा जथें। अइसे मानता हे के जेकर मन के तरपन ल पितर पाख म गया जी म कर दिए जाथे वोमन ल मोक्ष प्राप्त हो जाथे, वोकर बाद फेर वोकर मन के तरपन करना जरूरी नइ राहय। वइसे जेकर मन के श्रद्धा अउ सामरथ हे वोमन अपन पुरखा मन के सुरता अउ तरपन गया जी म तरपन करे के बाद घलोक कर सकथें। एमा कोनो किसम के बंधन या दोस नइ माने जाय। तरपन देवइया मनला जल-अरपन करे के बेर उत्ती मुड़ा म मुंह करके जल अरपन करना चाही अउ ए बखत अपन खांध म सादा रंग के कांचा कपड़ा पंछा आदि घलोक रखना चाही।

0 सुशील भोले रायपुर (छ.ग.)

[metaslider id="184930"
Advertisement Carousel
Share.

Comments are closed.

chhattisgarhrajya.com

ADDRESS : GAYTRI NAGAR, NEAR ASHIRWAD HOSPITAL, DANGANIYA, RAIPUR (CG)
 
MOBILE : +91-9826237000
EMAIL : info@chhattisgarhrajya.com
August 2025
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
25262728293031