राज्य सरकार ने अपने 45 विभागों के स्टाफ सेटअप में संशोधन करने का फैसला किया है। राज्य गठन के बाद से अधिकांश विभागों के स्टाफ सेटअप का पुनरीक्षण नहीं किया गया था, जिसे अब सरकार ने आवश्यक माना है। सरकार ने इस संबंध में आवश्यक प्रक्रिया शुरू कर दी है और मंत्रालय संवर्ग के सेटअप को संशोधित करने के लिए एक समिति का गठन भी किया है।
समस्या का कारण:
राज्य गठन के बाद से ही विभागीय सेटअप में संशोधन नहीं हो सका। इस दौरान राज्य और केंद्र की कई महत्वपूर्ण योजनाओं का कार्य वर्तमान कर्मियों के ऊपर अतिरिक्त भार के साथ किया जा रहा है। शिक्षा मिशन, रूसा, आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना, जेजेएम जैसी बड़ी योजनाओं के कार्यभार को भी इसी सेटअप के कर्मचारियों ने संभाला है। इसके अतिरिक्त, कई पदों पर संविदा और प्लेसमेंट कर्मियों के भरोसे काम चलाया जा रहा है, क्योंकि रेगुलर पदों की स्वीकृति नहीं हो पाई है।
सरकार ने दी मंजूरी:
अब सरकार ने मंत्रालय संवर्ग के सेटअप में संशोधन की प्रक्रिया को अनुमति दे दी है। इसके लिए एक समिति का गठन किया गया है, जिसमें वित्त विभाग के अपर सचिव डॉ. एके सिंह को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। साथ ही, जीएडी के उप सचिव, हर विभाग के संयुक्त सचिव या उप सचिव, और वित्त विभाग के नियम शाखा के अवर सचिव राजीव झाड़े को भी शामिल किया गया है। हालांकि, समिति के प्रतिवेदन के लिए कोई समयावधि निर्धारित नहीं की गई है, जो एक चिंताजनक पहलू है।
मंत्रालय के सेटअप को मंजूरी की प्रतीक्षा:
वहीं, मंत्रालय के सेटअप को अब तक मंजूरी नहीं मिल पाई है, हालांकि सचिव जीएडी, वित्त और मुख्य सचिव की मंजूरी के बाद विभागीय मंत्री और मुख्यमंत्री का अनुमोदन प्राप्त हो चुका है। इस सेटअप के लिए 5 करोड़ का सालाना बजट भी स्वीकृत हो चुका है। लेकिन वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने मुख्यमंत्री द्वारा अनुमोदित प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए इसे रोक दिया है, जो कि एक असामान्य घटना है। प्रस्ताव में मंत्रालय संवर्ग में 134 पदों की वृद्धि का सुझाव दिया गया है।