Monday, December 8

स्वतंत्रता दिवस पर 11वीं बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से ध्वजारोहण किया। इसके बाद राष्ट्रीय ध्वज गार्ड्स द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दी गई। वायुसेना के दो एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर्स ने कार्यक्रम स्थल पर पुष्पवर्षा की गई।  

पीएम मोदी ने लालकिले की प्राचीर से 2047 में विकसित भारत के सपने का खाका पेश किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते एक दशक में कई ऐसे सुधार किए गए हैं, जिनका असर अब दिखने लगा है और पूरी दुनिया में भारत की छवि सुधरी है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में यूनिफॉर्म सिविल कोड, बांग्लादेश के हालात, बुनियादी ढांचे के विकास, सामान्य मानविकी की समस्याओं के निदान, निवेश आदि मुद्दों पर अपने विचार रखे। इस दौरान प्रधानमंत्री ने लोगों को आगाह करते हुए ये भी कहा कि कुछ लोग देश को निराशा के गर्त में डुबोना चाहते हैं, लेकिन हमें उनसे सावधान रहना होगा।  

देश की आजादी के लिए बलिदान देने वाले आजादी के मतवालों को किया नमन
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि ‘आज वो शुभ घड़ी है जब हम देश के लिए मर मिटने वाले अपना जीवन समर्पित करने वाले, आजीवन संघर्ष करने वाले, फांसी के तख्त पर चढ़कर भारत माता की जय के नारे लगाने वाले, अनगिनत भारत माता के सपूतों के स्मरण करने का दिन है। आजादी के दिवानों ने आज हमें आजादी के इस पर्व में स्वतंत्रता में सांस लेने का मौका दिया। ऐसे हर महापुरुष के प्रति हम अपना श्रद्धा भाव व्यक्त करते हैं। आज जो महानुभाव राष्ट्र रक्षा के लिए और राष्ट्र निर्माण के लिए पूरी लगन से, पूरी प्रतिबद्धता के साथ देश की रक्षा भी कर रहे हैं औऱ देश को नई ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास भी कर रहे हैं। चाहे वह हमारा किसान हो, हमारा जवान हो या हमारे नौजवानों का हौसला हो, हमारी माताओं बहनों का योगदान हो। शोषित पीड़ित, वंचित हो। स्वतंत्रता के प्रति उसकी निष्ठा, लोकतंत्र के प्रति उसकी श्रद्धा। ये पूरी दुनिया के लिए प्रेरक घटना है। मैं ऐसे सभी को नमन करता हूं।’

उन्होंने आगे कहा ‘प्यारे देशवासियों इस वर्ष और पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक आपदाओं में अनेक लोगों ने अपने परिवारों को खोया है। संपत्ति खोई है। राष्ट्र निधि का नुकसान हुआ है। मैं आज उन सबके प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं और उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि देश इस संकट की घड़ी में उन सबके साथ खड़ा है। मेरे प्यारे देशवासियों हम जरा आजादी के पहले के उन दिनों को याद करें। सैकड़ो साल की गुलामी। हर कालखंड संघर्ष का रहा है। महिला हो, युवा हो, आदिवासी हो, वे सब गुलामी के खिलाफ जंग लड़ते रहे। 1857 का स्वतंत्रता संग्राम के पूर्व ही हमारे कई आदिवासी क्षेत्र थे, जहां आजादी की जंग लड़ी जाती रही थी। आजादी की जंग इतनी लंबी थी। अपरंपार यातनाएं, जुल्मी शासन सामान्य मानवी का विश्वास तोड़ने की तरकीबें, फिर भी उस समय की संख्या के करीब 40 करोड़ देशवासियों ने वो जज्बा दिखाया, वो सामर्थ्य दिखाया। एक संकल्प लेकर चलते रहे, एक सपना लेकर चलते रहे। जूझते रहे। एक ही सपना था वंदे मातरम, एक ही सपना था देश की आजादी का। हमें गर्व है कि हम उन्हीं के वंशज हैं। 40 करोड़ लोगों ने दुनिया की महान सत्ता को उखाड़ फेंका था। अगर हमारे पूर्वज जिनका खून हमारी रगों में है, आज हम 140 करोड़ हैं। अगर 40 करोड़ गुलामी की बेड़ियों को तोड़ सकते हैं, आजादी लेकर के रह सकते हैं तो 140 करोड़ मेरे नागरिक, मेरे परिवारजन अगर संकल्प लेकर चल पड़ते हैं, एक दिशा निर्धारित कर चल सकते हैं, कदम से कदम मिलाकर, कंधे से कंधा मिलाकर, तो चुनौतियां कितना ही क्यों न हो, संसाधनों के लिए जूझने की नौबत हो तो भी हम स्मृद्धि पा सकते हैं। हम 2047 तक विकसित भारत बना सकते हैं।’

 ‘2047 सिर्फ शब्द नहीं हैं। इसके पीछे कठोर परिश्रम चल रहा है। लोगों को सुझाव लिए जा रहे हैं। इसके लिए लोगों ने अनगिनत सुझाव दिए हैं। हर देशवासी का सपना उसमें प्रतिबिंबित हो रहा है। युवा हो, बुजुर्ग हो, गांव के लोग हों, शहर में रहने वाले, किसान, आदिवासी, दलित, महिलाएं, हर किसी ने 2047 में जब देश विकसित भारत की आजादी का पर्व मनाएगा तो हर व्यक्ति का उसमें योग्यता होगा। किसी ने स्किल कैपिटल बनाने का सुझाव रखा, किसी ने भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का, किसी ने विश्वविद्यालयों को वैश्विक स्तर बनाने का सुझाव दिया। हमारा स्किल युवा दुनिया की पहली पसंद बनना चाहिए।’

 ‘हर परिवार के बीच जब स्वच्छता वातावरण बन जाए तो ये भारत के अंदर आई नई चेतना का प्रतिबिंब है। आज हमारे देश में तीन करोड़ परिवार ऐसे हैं, जिन्हें नल से जल मिल रहा है। आज 15 करोड़ परिवार इसके लाभार्थी बन रहे हैं। कौन वंचित थे, इन व्यवस्थाओं से। इनमें दलित, आदिवासी, गरीब लोग इन चीजों के अभाव में जी रहे थे। हमने प्राथमिक आवश्यकताओं के लिए जो प्रमाण दिया, उसका लाभ जनता को मिल रहा है। हमने वोकल फॉर लोकल का मंत्र दिया। वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट का विचार दिया। इसका प्रभाव दिखने लगा है।’  

‘हमारे सुधार चार दिन की वाहवाही के लिए नहीं है। ये किसी मजबूरी में नहीं हैं, देश को मजबूती देने के लिए है’
‘विकसित भारत के लिए एक सुविचारित प्रयास हो रहा है। जब राजनीतिक नेतृत्व का दृढ़ विश्वास हो और सरकारी मशीनरी उस सपने को पूरा करने के लिए जुट जाता है और इसमें जनभागीदारी हो जाए तो निश्चित परिणाम मिलता है। जब चलता है वाली सोच होती है तो लोग जो है उसी से गुजारा कर लो। यही माहौल बन गया था। हमें इस मानसिकता को तोड़ना होगा। हमें विश्वास से भरना था। हमने उस दिशा में प्रयास किया है। लोग कहते थे कि अगली पीढ़ी का हम इंतजार क्यों करें हम तो आज का देखें। हमें जिम्मेदारी दी गई और हमने बड़े सुधार जमीन पर उतारे। गरीब हो, मिडिल क्लास हो, हमारी बढ़ती शहरी आबादी हो, युवाओं के सपने और आंकाक्षाएं हों। हमने सुधार की राह चुनी। हम देशवासियों को यह विश्वास दिलाना चाहते हैं कि हमारे सुधार चार दिन की वाहवाही के लिए नहीं है। ये किसी मजबूरी में नहीं हैं, देश को मजबूती देने के लिए है।’

बांग्लादेश के हालात पर जताई चिंता

‘बांग्लादेश में जो कुछ हुआ है। पड़ोस देश होने के नाते हम हालात को लेकर चिंतित हैं। हम उम्मीद करते हैं कि वहा हालात जल्द सामान्य होंगे। साथ ही वहां के हिंदू, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो। हमारे पड़ोसी देश सुख और शांति के मार्ग पर चलें। शांति के प्रति हम समर्पित हैं। हम आने वाले दिनों में बांग्लादेश की विकास यात्रा में हमेशा शुभचिंतक रहेंगे। हम मानव जाति के लिए सोचने वाले लोग हैं।’

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर ये बोले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से कहा ‘हमारे देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड की चर्चा चल रही है। देश की सुप्रीम कोर्ट भी हमें यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए कह रही है और देश के संविधान निर्माताओं का भी ये सपना था। जो कानून धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं, जो ऊंच नीच का कारण बनते हैं। वैसे कानूनों के लिए देश में कोई जगह नहीं हो सकती। हमने सांप्रदायिक सिविल कोड में 75 साल बिताए हैं, अब हमें सेक्युलर सिविल कोड की तरफ जाना होगा।’ 

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