कोटा। रतनपुर क्षेत्र में स्थित खूंटाघाट डैम में मगरमच्छों की बड़ी संख्या है, जो अक्सर भोजन की तलाश में डैम से बाहर निकल आते हैं। शुक्रवार को एक ऐसी ही घटना में, ग्राम जाली पुरैना तालाब के पास एक मगरमच्छ अज्ञात वाहन की चपेट में आ गया, जिससे उसकी मौत हो गई। मृत मगरमच्छ की सर कुचली हुई लाश सड़क के किनारे पाई गई।
यह घटना इलाके में वन्यजीव सुरक्षा के प्रति लापरवाही को उजागर करती है। स्थानीय लोगों के अनुसार, डैम में मगरमच्छों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिससे वे भोजन की तलाश में अक्सर डैम से बाहर निकलते हैं। कई बार ये मगरमच्छ गांव के तालाबों और गलियों में भी देखे जाते हैं, जिससे स्थानीय निवासियों के लिए खतरा पैदा हो जाता है।
सुरक्षा व्यवस्था की कमी
मगरमच्छों की इस तरह की मौतें वन विभाग की सुरक्षा व्यवस्था की कमी को दर्शाती हैं। डैम के आसपास मगरमच्छों को नियंत्रित करने और उनके सुरक्षित निवास के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर खूंटाघाट डैम में मगरमच्छों की संख्या अधिक हो गई है, तो उन्हें कोटमी सोनार अभयारण्य में स्थानांतरित किया जा सकता है, या फिर डैम में ही उनकी सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए जाने चाहिए।
स्थानीय लोगों ने वन विभाग से मांग की है कि मगरमच्छों की सुरक्षा और आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं, ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों। वन विभाग की निष्क्रियता के कारण लगातार वन्यजीवों की जान जा रही है, जो गंभीर चिंता का विषय है।
खूंटाघाट डैम से निकले मगरमच्छ की हादसे में मौत, सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
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