Monday, December 8

पीले सरसों के फूलों से गुलजार खेतों की बिखरी मनोरम छटा कह रही है, जिले में फसल परिवर्तन के आगाज की दास्तां…। रबी सीजन में सरसों के खेती का यह मनोहारी दृश्य है, राजनांदगांव विकासखंड के ग्राम जंगलेशर के प्रगतिशील कृषक अशोक रामचंद्र गुप्ता, अमित गुप्ता एवं प्रसन्न कुमार जैन के खेतों का। जिले के किसान शासन की योजना का भरपूर लाभ ले रहे है। साथ ही उनमें फसल विविधीकरण के लिए रूझान बढ़ा है। अशोक रामचंद्र गुप्ता के 11 एकड़ खेत में मक्का, किसान अमित गुप्ता के 4 एकड़ खेत में सरसों तथा किसान प्रसन्न कुमार जैन के 11 एकड़ खेेत में गेहू एवं 8 एकड़ खेत में सरसों की खेती की जा रही है। किसानों को कृषि विभाग से मक्का प्रदर्शन के तहत 20 किलो प्रति हेक्टेयर 95544 किस्म का बीज प्राप्त हुआ है तथा छत्तीसगढ़ सरसो वेरायटी का बीज किसानों को प्रदाय किया गया है। किसानों ने बताया कि खरीफ वर्ष 2024 में धान की खेती करने के बाद अब धान के बदले सरसों, गेहूं एवं मक्के की खेती की जा रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को किसान हितैषी विभिन्न योजनाओं के लिए शुक्रिया कहा। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग द्वारा बीज प्रदाय किया गया है तथा कीट प्रबंधन की जानकारी दी जा रही है, जिससे अच्छी फसल हो रही है। उल्लेखनीय है कि ग्राम जंगलेशर के उन्नतिशील किसानों ने 50 एकड़ में धान के बदले मक्का, 15 एकड़ में सरसो तथा 30 एकड़ में गेहूं की फसल लगाई गई है। कृषि विभाग द्वारा मक्का एवं सरसों का नि:शुल्क बीज प्रदाय किया गया है। इन फसलों में लागत कम और फायदा ज्यादा है।

जिला प्रशासन द्वारा फसल चक्र परिवर्तन के लिए किसानों को लगातार प्रेरित किया जा रहा है तथा इसके लिए जल संवर्धन, स्वच्छता एवं फसल संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है, जिससे किसानों में धान के बदले कम पानी की आवश्यकता वाले फसल की तरफ किसानों का रूझान बढ़ा है और अब किसान गेहूं, सरसों, मक्का, चना, दलहन-तिलहन सहित अन्य उद्यानिकी फसलों को अपना रहे हैं। यह एक सुखद परिवर्तन है। फसल चक्र परिवर्तन पानी की कमी को ध्यान में रखते हुए लेना आवश्यक हो गया है, इससे जमीन उपजाऊ होती है तथा खरपतवार में कमी आती है। इन फसलों से किसानों को अच्छा मुनाफा होता है। सरसों की खेती में प्रति एकड़ 5 हजार रूपए खर्च होता है तथा प्रति एकड़ 6-7 क्विंटल उत्पादन होता है, जिससे लगभग 40-42 हजार रूपए शुद्ध लाभ होता है। धान के बदले अन्य फसलों में पानी कम लगता है। वहीं बीमारी एवं देखरेख की कम आवश्यकता होती है। किसानों ने बताया कि गेहूं की खेती में प्रति एकड़ 5 हजार रूपए खर्च होता है तथा 15-17 क्विंटल उत्पादन होता है, जिससे लगभग 30 हजार रूपए तक आमदनी होती है। मक्का की खेती में प्रति एकड़ 15 हजार रूपए खर्च होता है तथा उत्पादन 30-40 रूपए प्रति क्विंटल उत्पादन होता है तथा लगभग 60 हजार रूपए लाभ मिलता है।

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