Wednesday, September 3

अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने बताया कि डायन जैसे अंधविश्वास से जुड़ी एक हृदय विदारक घटना बिहार से सामने आई है ,जिसमें एक परिवार के 5 लोगों की डायन के शक में बुरी तरह मारा गया फिर जिंदा जला कर हत्या हत्या कर दी गयी .अंधविश्वास में पड़ कर किसी जान लेना अति निंदनीय और शर्मनाक है.इस जघन्य कांड में शामिल सभी लोगों पर कठोर कार्यवाही हो . डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया जानकारी मिली है कि बिहार के पूर्णिया के टेटगमा गांव में एक व्यक्ति के बीमार होने पर गांव के एक तांत्रिक ने ‘डायन’ का प्रकोप होने की बात कही,तथा नाम भी चिन्हित कर दिए, जिससे 250 ग्रामीणों ने एक परिवार के 5 लोगों के साथ बुरी तरह मारपीट की और उन्हें जिंदा जला दिया .जानकारी के अनुसार, कुछ दिन पहले रामदेव उरांव के बेटे की मौत हो गई थी। इसके बाद उनका भतीजा भी बीमार था, लगा कि सीता देवी , कातो देवी ने उसे बीमार किया है। डायन के शक में लगभग 250 ग्रामीणों ने रविवार देर रात मे ग्रामीणों ने आदिवासी बाबूलाल उरांव उसकी पत्नी सीता देवी, मां कातो मोसमात, बेटा मनजीत उरांव और बहू रानी देवी को घर से खींचा तालाब के पास खींचकर ले गए और वहां उन पर डायन का आऱोप लगाकर जमकर पीटा। इसके बाद उनके ऊपर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा कर मार डाला। इसके बाद शव को छिपा दिया। आज के युग में यह अंधविश्वास अत्यंत शर्मनाक है. डॉ . दिनेश मिश्र ने कहा कोई नारी डायन /टोनही नही होती. जादू टोने का कोई अस्तित्व नहीं होता .यह सिर्फ अंधविश्वास है, इस प्रकार किसी भी निर्दोष महिला को प्रताड़ित करना शर्मनाक तथा अपराध है . बीमारियों के अलग अलग कारण होते हैं, संक्रमण, कुपोषण, दुर्घटनाओं से लोग बीमार होते हैं उनका सही उपचार होना चाहिए . किसी निर्दोष को मारने पीटने जलाने से कोई बीमार ठीक नहीं होता. डायन की मान्यता अंधविश्वास है. हमारी बिहार शासन से मांग है कि इस मामले में शामिल अन्य सभी दोषियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए उन्हें कड़ी सजा मिले

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