Friday, December 5

पितृपक्ष जिस श्राद्ध भी कहा जाता है। पितृपक्ष का सनातन धर्म में बहुत ही विशेष महत्व होता है। मान्यताओं के अनुसार, इन 15 दिन पितृ अपने परिवार को आशीर्वाद देने का लिए धरती पर आते हैं। उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण आदि कार्य किए जाते हैं। कहा जाता है कि विधि विधान से पितरों के नाम से तर्पण आदि करने से वंश की वृद्धि होती है और पितरों के आशीर्वाद से व्यक्ति को सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। वरना पितृ नाराज हो जाते हैं। अगर आप इन नियमों की अनदेखी करते हैं तो पितर नाराज हो जाते हैं। आइए जानते हैं पितृपक्ष के नियम इस दौरान क्या करें क्या न करें।

पितृपक्ष में क्या करें क्या न करें

1) शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में कोई भी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, दुकान का मुहूर्त, नया कारोबार का आरंभ आदि नहीं करना चाहिए।

2) पितृपक्ष में किसी से भी झूठ न बोलें न ही अपशब्दों का प्रयोग करें। किसी के साथ भी छल कपट आदि न करें। क्योंकि ऐसा करने से आपके पितृ आपसे नाराज हो सकते हैं। साथ ही पितृ पक्ष में ब्रह्मचर्य का पालन करना बेहद जरूरी है।

3) पितृपक्ष के दौरान शराब, पान, बैंगन, प्याज, मांसाहार, सफेद तिल, लौकी, मूली, लहसुन, बासी भोजन, सरसों का साग, मसूर की दाल, काला नमक, सत्तू आदि का सेवन वर्जित माना जाता है। ऐसा करने से आपको पितर नाराज हो जाते हैं।

4) पितृपक्ष में पितरों के तर्पण के लिए काले तिल का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए तर्पण के लिए सफेद तिल का इस्तेमाल भूलकर भी न करें। साथ ही श्राद्ध का खाना पकाने के लिए लोहे के बर्तन का इस्तेमाल न करें। न ही स्टील के बर्तन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। आप चाहें तो पीतल के बर्तन में भोजन कर सकते हैं।

5) पितृपक्ष के दौरान जो भी पितरों के लिए खाना बन रहा है उसे बिना चखे बनाना चाहिए और न ही खाना बनाने वाले को पहले खाना चाहिए। साथ ही पितृपक्ष में अगर आपके दरवाजे पर कोई गाय, ब्राह्मण, कुत्ता, भिखारी आदि कोई भी आए उनका अपमान न करें।

6) पितरों के तर्पण के लिए दोपहर का समय उत्तम माना जाता है। इसलिए ब्रह्म मुहूर्त में श्राद्ध न करें। आप पितरों का तर्पण के लिए अपराह्न का समय ज्यादा पुण्यदायी माना जाता है।

पितरों का पूरा आशीर्वाद पाने के लिए पितृपक्ष में इन सभी नियमों का पालन जरूर करें। ताकि आपके परिवार पर पितरों की कृपा हमेशा बनी रहे।

( नोट- यहाँ दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओ पर आधारित हैं)

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