बस्तर संभाग के युवाओं को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के साथ उनके अंदर छिपी प्रतिभा को निकालने का प्रयास किया जा रहा है. इस उद्देश्य को लेकर सरकार ने बस्तर ओलंपिक का आयोजन किया है. जगदलपुर में अब संभाग स्तरीय प्रतियोगिताएं होंगी. 11 से 13 दिसंबर तक संभाग स्तर खेलों का आयोजन हो रहा है.
छत्तीसगढ़ में साल 2024 में बस्तर ओलंपिक की शुरुआत हुई. ये आयोजन एशिया के सबसे बड़े जनजातीय खेल आयोजनों में शामिल हो चुका है. 2024 में नक्सल प्रभावित 7 जिलों के युवक- युवतियों ने खेलों में हिस्सा लिया.खिलाड़ियों के साथ सरेंडर नक्सलियों और नक्सल हिंसा से पीड़ित लोग भी बस्तर ओलंपिक का हिस्सा बनें. बस्तर ओलंपिक के सकारात्मक परिणाम को देखते हुए बस्तर ओलंपिक 2025 का आयोजन हुआ,जिसमें 4 लाख खिलाड़ियों ने रजिस्ट्रेशन कराया.ओलंपिक में सरेंडर माओवादियों की टीम का नाम ‘नुआ बाट’ रखा गया है.
बस्तर ओलंपिक में सात जिलों से कुल 7 टीमें होती हैं. इसके अलावा एक टीम सरेंडर माओवादियों और नक्सल हिंसा से पीड़ित लोगों की होती है जिसे नुआ बाट (Nuwa Bat) कहते हैं. नुआ बाट बस्तर ओलंपिक की खास बात है. बस्तर की आंचलिक भाषा में नुआ बाट का अर्थ होता है नया रास्ता. इसका उपयोग सरेंडर नक्सलियों के लिए किया गया है. जिन नक्सलियों ने सरेंडर किया है और हिंसा छोड़कर समाज की मुख्य धारा में शामिल हो रहे हैं उन्हें नुआ बाट कैटेगरी में रखा गया है. 2024 में 300 से अधिक नुआ बाट ने बस्तर ओलंपिक में हिस्सा लिया था. 2025 में इनकी संख्या 600 से ज्यादा है.
बस्तर ओलंपिक का आयोजन पहले संकुल, फिर ब्लॉक और उसके बाद जिला स्तर पर होता है. . अब संभाग स्तर पर बस्तर ओलंपिक का फाइनल मुकाबला होना है. जिसके लिए टीमें जगदलपुर में पहुंचने लगी हैं.













