Thursday, December 11

05 दिसंबर 2025 से प्रारंभ होकर 03 जनवरी 2026 को समाप्त होने वाले इस मास में जब सूर्यदेव धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो खरमास की शुरुआत होती है. उत्तर भारत में इस मास के दौरान कड़ाके की सर्दी पड़ती है. हिंदू मान्यता के अनुसार पौष में स्नान-दान और सूर्य नारायण की साधना करने पर व्यक्ति को सुख-सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं कि इस मास में पुण्य की प्राप्ति और पाप से बचने के लिए क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए. 

पौष मास में भूलकर न करें ये 5 काम 

1. हिंदू मान्यता के अनुसार पौष में पुण्य की कामना रखने वालों को तामसिक चीजों से दूरी बनाए रखना चाहिए. ऐसे में इस पावन मास में भूलकर भी मांस-मंदिरा या फिर किसी अन्य नशे की चीज सेवन न करें. 

2. पौष मास में ही सूर्य देव के धनु राशि में प्रवेश करते ही खरमास की शुरुआत होती है, ऐसे में इस दौरान भूलकर भी मांगलिक कार्य जैसे शादी, मुंडन, जनेउ आदि न करें.

3. पौष मास में व्यक्ति को किसी भी प्रकार की गलत गतिविधि में भाग न लेते हुए श्री हरि की साधना और आराधना में मन लगाना चाहिए. ऐसे में पौष में भूलकर भी किसी के प्रति ईर्ष्या न रखें और न ही किसी के साथ गलत व्यवहार करें. 

4. पौष में जब खरमास प्रारंभ हो जाए तो भूलकर भी किसी नये कार्य का प्रारंभ न करें.  

5. पौष में नमक का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए. इसी प्रकार बैंगन, मूली, मसूर की दाल आदि का सेवन करने से भी बचना चाहिए. 

पौष मास में इन कार्यों से होगी पुण्य में वृद्धि 

1. पौष मास में भी स्नान और दान दोनों का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार पौष मास में व्यक्ति को सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए. यदि संभव हो तो किसी जल तीर्थ पर जाकर स्नान करना चाहिए. 

2. पौष मास में प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य नारायण की साधना अत्यंत ही शुभ और फलदायी मानी गई है. ऐसे में सौभाग्य और आरोग्य का आशीर्वाद पाने के लिए स्नान करने के बाद व्यक्ति को उगते हुए सूर्य देव को तांबे के लोटे में रोली, अक्षत और लाल पुष्प डालकर विशेष अर्घ्य देना चाहिए. 

3. पौष मास में सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए व्यक्ति को प्रतिदिन सूर्याष्टकं अथवा आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. 

4. हिंदू मान्यता के अनुसार पौष मास में काला तिल, गुड़, काले रंग का कंबल, अन्न और गरम कपड़े का दान करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है. 

5. पौष मास में सूर्य नारायण के साथ लक्ष्मी नारायण भगवान की पूजा भी अत्यंत ही शुभ और फलदायी मानी गई है. ऐसे में पौष में पूजा करते समय विशेष रूप श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. श्री हरि की पूजा के इस उपाय से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और दुख-दुर्भाग्य दूर होता है. 

( यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. )

[metaslider id="184930"
Advertisement Carousel
Share.

Comments are closed.

chhattisgarhrajya.com

ADDRESS : GAYTRI NAGAR, NEAR ASHIRWAD HOSPITAL, DANGANIYA, RAIPUR (CG)
 
MOBILE : +91-9826237000
EMAIL : info@chhattisgarhrajya.com
December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031