रायपुर। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को आने वाले दिनों में तापमान में वृद्धि होने की संभावना को देखते हुए गेहूं और चने फसल की कटाई शीघ्र करने की सलाह दी गई है। परिपक्व गेहूं, फसल की कटाई में समय एवं ऊर्जा की बचत के लिए ट्रेक्टर चालित रीपर या कम्बाइन हार्वेस्टर का उपयोग किया जा सकता है। किसान भाइयों को ग्रीष्म कालीन धान की फसल को तना छेदक कीट के प्रकोप से बचाने हेतु प्रारम्भिक नियंत्रण के लिए प्रकाश प्रपंच अथवा फिरोमेन ट्रेप का उपयोग करने, ग्रीष्म कालीन धान में आवश्कतानुसार सिंचाई करने, मक्का फसल नरमंजरी अवस्था में होने पर नत्रजन की तीसरी मात्रा का छिड़काव करने के साथ ही आवश्यकतानुसार सिंचाई करने की सलाह दी गई है। ग्रीष्मकालीन तिल फसल नहीं लगाई गई हैं तो खेत की जुताई कर बुवाई करने के बाद सिंचाई करने की सलाह दी गई है। ग्रीष्म कालीन साग-सब्जी फसलों में सिंचाई व्यवस्था ठीक से करें तथा तापमान कीट फैलने के लिए अनुकूल हैं, उसको ध्यान में रखते हुए भिन्डी, बैंगन जैसी फसलों में रोज कीटों की निगरानी करें। बेल वाली फसलों की मचान, सहारे को ठीक करें तथा कुंदरू एवं परवल में उर्वरक डालें। फरवरी में बुवाई की गई फसले जैसे भिन्डी, बरबटी, ग्वारफली इत्यादि में गुडाई कर सिंचाई करें।
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