Thursday, December 11

मध्य प्रदेश में हाल ही में पकड़े गए नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के रैकेट की जांच के दौरान पुलिस ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. अब तक की जांच में पाया गया है कि नकली रेमडेसिविर लगने वालों में से ज्यादातर ने कोरोना को हरा दिया. हालांकि इसके इस्तेमाल से कुछ लोगों की मौत भी हुई है जिनके परिजन अब पुलिस के पास पहुंच रहे हैं.

दरअसल, मध्य प्रदेश में करीब एक महीने के दौरान अलग-अलग हिस्सों से रेमडेसिविर की कालाबाजारी की खबरें तो आ रही थीं, लेकिन इंदौर में पकड़े गए रैकेट के तार तो गुजरात से लेकर मध्य प्रदेश के इंदौर और जबलपुर जैसे शहरों तक फैले पाए गए. जांच के दौरान आरोपियों ने बताया कि उन्होंने ग्लूकोज और नमक मिलाकर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन तैयार किए थे और जरूरतमंद लोगों को मोटी कीमत पर बेचा था.

इन लोगों की तस्वीरें सोशल मिडिया में आने के बाद कई लोग अब पुलिस स्टेशन पहुंच रहे हैं और बता रहे हैं कि उन्होंने इन आरोपियों से ही रेमडेसिविर खरीदे थे.

नकली रेमडेसिविर से ज्यादातर बच गएः IG

‘आजतक’ से बात करते हुए इंदौर रेंज के आईजी हरिनारायण चारी मिश्रा ने बताया कि ‘हमारे पास काफी बड़ी संख्या में पीड़ित शिकायत लेकर आ रहे हैं जिन्होंने आरोपियों से रेमडेसिविर खरीदा था. हैरानी की बात यह है कि नकली रेमडेसिविर लगाने वालों में से ज्यादातर बच गए हैं और उन्होंने कोरोना के गंभीर संक्रमण को मात दे दी जबकि कुछ की मौत भी हुई है.’

आईजी हरिनारायण चारी मिश्रा ने आगे कहा, ‘अभी यह कहा जा सकता है कि अब तक जो लोग हमारे पास पहुंचे हैं, उनमें देखा जाए तो करीब 85%-90% लोग नकली रेमडेसिविर के बाद भी बच गए. इससे इस बात को भी बल मिलता है कि आपदा के समय लोग बेवजह पैनिक होकर कोई भी ऐसी दवा जो जरूरी ना हो वो नहीं लें और डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें.’

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