Wednesday, December 10

जीएसटी टैक्स 28 प्रतिशत होने पर बस आपरेटरों की परेशानी बढ़ी

रायपुर। कोरोना वायरस कोविड-19 विश्वव्यापी महामारी के दौरान केन्द्र सरकार के निर्देश पर दो बार लगे लॉकडाउन के कारण बसों के पहिए थमने पर बस आपरेटरों की कमर टूट गई है, वहीं राज्य शासन एवं केन्द्र शासन द्वारा संयुक्त रूप से डीजल पर 43 प्रतिशत की वूद्धि के कारण बसों का संचालन करना असंभव हो गया है। राज्य शासन के परिवहन मंत्री एवं परिवहन सचिव से इस संबंध में मुलाकात कर यात्री किराया में वृद्धि की मांग की गई है। उक्त जानकारी प्रेसक्लब रायपुर में आयोजित पत्रकारवार्ता में छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सैय्यद अनवर अली, संरक्षक गुरूचरण सिंह होरा एवं संयोजक नरेन्द्र पाल सिंह गरचा ने संयुक्त रूप से दी। उन्होंने बताया कि 16 माह में कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन के चलते बसों के पहिए थमने पर अधिकांश बस आपरेटरों की आर्थिक हालत अत्यंत खराब है। उन्होंने बताया कि पड़ोसी राज्यों मध्यप्रदेश, ओडिशा, झारखंड, महाराष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश सरकार ने यात्री किराया में 25 से 35 प्रतिशत की वृद्धि की है जबकि प्रदेश शासन द्वारा अब तक कोई राहत नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में यूनियन द्वारा 29 मई को परिवहन मंत्री को ज्ञापन सौंपा गया था इसके बाद भी मांग पूरी नहीं हुई है। छत्तीसगढ़ में बस संचालक 40 प्रतिशत की यात्री किराया में वृद्धि होने पर ही सड़कों पर विभिन्न शहरों एवं ग्रामों के लिए बसों की आवाजाही का संचालन करने की स्थिति में होंगे। उन्होंने बताया कि एक लाख आठ हजार लोग यातायात महासंघ से जुड़ेे परिवहन व्यवसाय में अपनी रोजी-रोटी का संचालन करते हैं। इसके अलावा बसों की चेसिस एवं बॉडी पर 18 प्रतिशत जीएसटी को बढ़ाकर सरकार ने 28 प्रतिशत कर दिया है। बीमा की दर में 100 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है। वहीं टायरों की कीमत में 12 प्रतिशत टैक्स को बढ़ाकर 18 प्रतिशत किया गया है।
वार्ताकारों ने पत्रकारवार्ता में बताया कि यात्री किराया में वृद्धि के लिए यातायात महासंघ चरणबद्ध आंदोलन करेगा। 28 जून को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में एक दिवसीय शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन किया जाएगा। दो जुलाई को जिला मुख्यालयों में कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपा जाएगा। 8 जुलाई को जिला मुख्यालय में बस संचालक, चालक, परिचालक, हेल्पर, क्लिनर परिवार सहित रैली निकालकर कलेक्टरों को ज्ञापन सौपेंगे। 12 जुलाई को बुढ़ापारा धरनास्थल में संयुक्त रूप से महाधरने का आयोजन किया गया है। उक्त उपायों के उपरांत भी मांगें शासन पूर्ण नहीं करती है तो 13 जुलाई को प्रदेश की बसें अनिश्चितकान के लिए बंद की जाएंगी। मांगे पूर्ण नहीं होने की स्थिति में 14 जुलाई को दोपहर 3 बजे खारून नदी में बस संचालक जल समाधि लेंगे। इस दौरान कोई दुर्घटना घटती है तो इसके लिए परिवहन मंत्री एवं राज्य शासन के अधिकारी जिम्मेदार होंगे।

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