राजनांदगांव। जिले में मलेरिया, डेंगू व डायरिया नियंत्रण तथा इससे बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी तेज कर दी है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व मितानिन को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। स्वास्थ्य कर्मचारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व मितानिन के प्रशिक्षण हेतु बैठक आयोजित कर तैयारियों पर विस्तृत चर्चा की गई है। मलेरिया, डेंगू व डायरिया के मद्देनजर संवेदनशील क्षेत्रों के लिए विशेष एहतियात बरती जा रही है। जिले के लोगों को मलेरिया से बचाने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाने, जन-जागरूकता के लिए रैली, नाटक का आयोजन करने तथा बैनर-पोस्टर व नारा लेखन करने के निर्देश भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के जिला सलाहकार विकास राठौर ने बताया, मलेरिया, डेंगू व डायरिया पर नियंत्रण और इससे बचाव के लिए जिला स्तर पर 371 सर्वे दल का गठन किया गया है, जिनके द्वारा गृह भेंटकर मास स्क्रीनिंग की जाएगी। इसके साथ ही जिले के सभी विकासखंडों के स्वास्थ्य विभाग ने भी तैयारी कर ली है। गुजरे एक-दो साल में जिस क्षेत्र में मलेरिया के मामले मिले हैं, उन स्थानों की सूची बनाई जा रही है। इसके लिए मितानिन के सहयोग से जनभागीदारी के साथ कार्य किया जा रहा है। इसके बाद मलेरिया, डेंगू व डायरिया से बचाव हेतु हरसंभव उपाय शुरू किए जाएंगे। मलेरिया नियंत्रण अभियान के दौरान लोगों को घर में रखे गमले की ट्रे, कूलर, फ्रिज तथा पानी की टंकी को खाली कर सुखाने के बाद उपयोग करने के बारे में जानकारी दी जाएगी, ताकि मच्छर के अंडे, लार्वा को नष्ट किया जा सके। मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए पुराने टायर, मटके, कबाड़ आदि में बरसात का पानी एकत्र न होने देने तथा घर के बाहर छोटे गड्ढों में मिट्टी का भराव करने हेतु लोगों को प्रेरित किया जाएगा, जिससे मच्छरों के प्रजनन को न्यून किया जा सके। उन्होंने बताया, नियमित रूप से साफ सफाई के साथ ही मच्छररोधी दवाई का छिड़काव करने पर भी लगातार जोर दिया जा रहा है।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथलेश चौधरी ने बताया, मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान अंतर्गत चिन्हित विकासखंडों के अति संवेदनशील गांवों में मलेरिया व अन्य कीटनाशक बीमारियों से बचाव हेतु मच्छरदानी का वितरण किया जा रहा है। साथ ही जनसमुदाय को मच्छरदानी का उपयोग करने, फुल बाजू के कपड़े पहनने व घर के आसपास सफाई रखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसी तरह विकासखंड के ग्राम स्तर पर एक जुलाई से मास स्क्रीनिंग कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। इसके अंतर्गत सर्वे दल के द्वारा 2 मलेरिया वार्षिक परजीवी सूचकांक (एपीआई) से अधिक के 199 संवेदनशील गांवों तथा पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश के सीमा क्षेत्र के सभी गांवों, सीआरपीएफ, आईटीबीपी कैम्प, पुलिस चौकी एवं अन्य स्थानों पर मास स्क्रीनिंग की जाएगी। जनसमुदाय की शत-प्रतिशत रक्त जांच की जाएगी और मलेरिया सकरात्मक प्रकरण पाए जाने पर उन्हें संपूर्ण उपचार प्रदान किया जाएगा। लोगों को मलेरिया से रोकथाम की संपूर्ण जानकारी प्रदान की जाएगी।
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