Saturday, December 13


 
रायपुर। कोरोना की संभावित तीसरी लहर को लेकर छत्तीसगढ़ शासन द्वारा युद्धस्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राज्य में ऑक्सीजन, वैंटिलेटरों, दवाइयों, बिस्तरों, चिकित्सकों तथा चिकित्साकर्मियों के समुचित प्रबंध समय रहते कर लेने के निर्देश स्वास्थ्य विभाग को दिए हैं। वे विभाग के अधिकारियों की लगातार बैठकें लेकर संभावित परिस्थितियों से निपटने की रणनीति तय कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि गांवों से लेकर शहरों और राजधानी रायपुर तक चिकित्सा अधोसंरचना को इस तरह मजबूत किया जाए कि वह तीसरी-लहर का सामना करने में कारगर साबित हो, साथ ही कोरोना के बाद भी राज्य के पास एक स्थायी और मजबूत अधोसंरचना उपलब्ध हो। पिछले वर्ष कोरोना की पहली लहर के साथ ही प्रदेश में चिकित्सा अधोसंरचना मजबूत करने के दूरदर्शितापूर्ण प्रयास प्रारंभ कर दिए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप चरणबद्ध तरीके से स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी हो रही है। वर्तमान में प्रदेश में वैटीलेटर्स की संख्या 280 से बढ़कर 723, आईसीयू बैड्स की संख्या 406 से बढ़कर 729, आक्सीजन कॉनसेंट्रेटर्स की संख्या 1061 से बढ़कर 5142, जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर 2704 से 9382, छोटे आक्सीजन सिलेंडर 2499 से 5362, पीएसए ऑक्सीजन प्लांट 6 से 23, मल्टी पैरामॉनिटर 624 से बढ़कर 1142 हो चुके हैं। राज्य सरकार ने कोरोना से निपटने के लिए जो रणनीति तय की है, उसमें प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 05 आक्सीजन कॉनसेंट्रेटर, प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 15 ऑक्सीजन बैड, 15 जंबो सिलेंडर और 4 आईसीयू बैड, प्रत्येक जिला चिकित्सालय में सभी ऑक्सीजन बैड, वैंटिलेटर सहित कम से कम 30 आईसीयू बैड, कम से कम 02 शिशु वैंटिलेटर, ऑक्सीजन के लिए पीएसए प्लांट, लिक्विड ऑक्सीजन टैंक एवं ऑक्सीजन पाइप लाइन तथा मैनिफोल्ड, प्रत्येक चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में वैंटिलेटर सहित 100 आईसीयू बैड, 20 शिशु वैंटिलेटर, तथा जिला अस्पतालों जैसे सभी संसाधन होंगे।  ऑक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता के लिए प्रदेश में 100 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 23 पूर्ण हो चुके हैं और 77 निर्माणाधीन हैं। प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों और जिला चिकित्सालयों में पीएसए प्लांट स्वीकृत किए जा चुके हैं। इसी तरह 22 लिक्विड ऑक्सीजन टंकियां स्वीकृत की गई हैं। 10, 618 जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर तथा 7960 छोटे ऑक्सीजन सिलेंडर की अतिरिक्त व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों के 690 बेड्स में पाइप लाइन की अतिरिक्त व्यवस्था की जा रही है। इसी तरह 717 वैंटिलेटर, 123 शिशु वैंटिलेटर की व्यवस्था के लिए तैयारी की जा रही है। प्रदेश के 967 शासकीय और 435 निजी अस्पतालों में डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना और आयुष्मान भारत योजना के तहत जरूरतमंदों को इलाज की सुविधा दी जा रही है।                
राजधानी रायपुर में विश्व स्तरीय सुविधाओं वाले निजी अस्पताल की स्थापना के लिए 25 एकड़ भूमि आरक्षित करने की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है। इसी तरह कोविड-19 से बचाव के लिए दूसरे मोर्चे पर टीके की उपलब्धता के आधार पर तेजी से टीकाकरण किया जा रहा है। 01 जुलाई 2021 तक 99 लाख 12 हजार 608 टीके लगाए जा चुके हैं। प्रदेश में करीब 82 लाख 79 हजार 252 लोगों को पहला टीका और 16 लाख 33 हजार 356 लोगों को दोनों टीके लगाए जा चुके हैं। प्रदेश में 45 वर्ष से अधिक आयु के 47 लाख 80 हजार 724 और 18 से 44 वर्ष आयु-वर्ग में 28 लाख 73 हजार 824 नागरिकों को कोरोना से बचाव का टीका लगाया जा चुका है। छत्तीसगढ़ में 02 जुलाई 2021 की स्थिति में पाजिटिविटी दर घट कर मात्र 1.2 प्रतिशत रह गई है। रिकवरी दर 98 प्रतिशत है। राज्य की प्रतिदिन टेस्ट क्षमता 30-35 हजार से बढ़कर अब 70 हजार टेस्ट से अधिक हो चुकी है। वर्तमान में 35 शासकीय, 6 निजी लैब में ट्रू नॉट जांच की सुविधा है। 11 शासकीय और 5 निजी लैब में आरटीपीसीआर टेस्ट की सुविधा है। राज्य में 5 नई शासकीय आरटीपीसीआर लैब बलौदाबाजार, दुर्ग, दंतेवाड़ा, जांजगीर-चांपा एवं जशपुर में स्थापित की गई है। प्रत्येक जिले में अतिरिक्त मशीन प्रदाय कर ट्रूनॉट लैब की जांच क्षमता में वृद्धि की गई है। राज्य के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर रैपिड एंटीजन टेस्ट की व्यवस्था की जा चुकी है। छत्तीसगढ़ के 14 नगर निगमों में 13 मई से सप्ताह में सातों दिन 24 घंटे रेपिड एंटिजन टेस्टिंग की सुविधा है। राज्य में अब तक कोरोना के लक्षण वाले 22 लाख 42 हजार लोगों को निःशुल्क दवा किट का वितरण किया गया है। राज्य में मेडिकल कॉलेज अस्पतालों की संख्या 6 से बढ़कर 9,  जिला चिकित्सालयों की संख्या 26 से बढ़कर 28 तथा सिविल अस्पताल की संख्या 19 से बढ़कर 20 हो गई है। ढाई सालों में 50 बिस्तर वाले 15 तथा 100 बिस्तर वाले 6 एमसीएच अस्पताल स्थापित किए गए हैं। इस अवधि में 6 नए उप स्वास्थ्य केन्द्र तथा एक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भी स्थापित किया गया है। राज्य में ढाई सालों में स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाने की दिशा में किए गए प्रयासों का ही परिणाम है कि विशेषज्ञ, चिकित्सकों, चिकित्सा अधिकारियों सहित मेडिकल स्टाफ की संख्या 18,458 से बढ़कर 20,405 हो गई है, जिसमें विशेषज्ञ, चिकित्सकों की संख्या 175 से बढ़कर 319, चिकित्सा अधिकारियों की संख्या 1359 से बढ़कर 1818 और स्टाफ नर्स की संख्या 2580 से बढ़कर 4091 हो गई है। वर्तमान में 300 चिकित्सा अधिकारियों, 92 स्टाफ नर्स, 50 मेडिकल लैब टेक्नॉलाजिस्ट तथा 146 ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक (महिला) की भर्ती प्रक्रियाधीन है।

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