Home » जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है, उसूलों पर आंच आए तो टकराना जरूरी है…राजस्थान में जारी सियासती उठा-पटक के बीच सोशल मीडिया में शेरो-शायरी का दौर….
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जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है, उसूलों पर आंच आए तो टकराना जरूरी है…राजस्थान में जारी सियासती उठा-पटक के बीच सोशल मीडिया में शेरो-शायरी का दौर….

जयपुर। राजस्थान के सियासती उठा-पटक के बीच अब सोशल मीडिया पर शेरो-शायरी का दौर भर चल पड़ा है। आपकों बता दें कि राजस्थान के उप मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को बर्खास्त कर दिया गया है और उनसे पद भी छीन लिये गए है। इस बीच नेता सोशल मीडिया पर शेरो शायरी के जरिए विरोधी खेमे पर तंज कसने से नहीं चूक रहे हैं। उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के करीबी एवं राज्य पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने मंगलवार सुबह ट्वीट किया कि मैं बोलता हूं, तो इल्जाम है बगावत का, मैं चुप रहूं तो बड़ी बेबसी सी होती है। विश्वेंद्र सिंह के इस ट्वीट पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने न केवल इस पर दाद दी, बल्कि इसे रिट्वीट भी किया। पूनिया ने इसके साथ ही टिप्पणी की, वाह राजा साहब, बेहद खूब, बेअंदाज है आपके निराले अंदाज। आप न तो इल्जाम की परवाह करते हैं, न आप बेबस हो सकते हैं। जय हो, विजय हो आपकी। भाजपा के नेता एवं केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने इसे रिट्वीट करते हुए लिखा, कुशासन के विरोध में आवाज उठाना ही सही मायने में वर्तमान का सेवाधर्म और प्राचीन काल का राजधर्म है। आपने एक सच्चे नायक होने का एहसास दिलाया है। वर्तमान का घटनाक्रम राजस्थान की कांग्रेस सरकार के जनविरोधी शासन का परिचायक है। इसके बाद सिंह ने एक और ट्वीट किया, मेरी फितरत ही कुछ ऐसी है कि गा लिबन सच कहने का लुत्फ उठाता हूं मैं। विश्वेंद्र सिंह गहलोत सरकार के उन तीन मंत्रियों में से एक हैं, जो विधायक दल की सोमवार को हुई बैठक में शामिल नहीं हुए। पायलट खेमे के एक और विधायक मुकेश भाकर ने भी सोशल मीडिया पर लिखा था, जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है, उसूलों पर आंच आए तो टकराना जरूरी है। हालांकि सचिन पायलट इस बारे में सोशल मीडिया पर चुप हैं। (एजेंसी)

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