पश्चिमी संस्कृति के कैलेंडर के हिसाब से नए साल का आगमन बस होने ही वाला है। ऐसे में इस नए साल के पहले ही दिन एक अद्भुत संयोग बन रहा है। दरअसल इस दिन पिता और पुत्र के पूजन से जीवन में होने वाले कष्टों से मुक्ति मिलने वाली है। इसके लिए बस आपको इन दो देवताओं की पूजा विधि-विधान से करनी है। आइये जानते है किन विधानों को करने से और किन देवताओं का पूजन करने से आपका ये साल अच्छा बीतने वाला है।
किन देवताओं का करें पूजन
-दरअसल साल के पहले ही दिन दशमी तिथि पड़ रही है और शास्त्रों में दशमी के स्वामी यमराज को माना गया है। ऐसी मान्यता है कि अगर यमराज को आप मना लेते है, तो आपको जीवन के साथ-साथ मृत्यु के बाद भी कष्ट नहीं होते है। उसके लिए बस आपको मृत्यु के देवता यमराज का पूजन करना है।
-इसके अलावा इस दिन रविवार पड़ रहा है और शास्त्रों के अनुसार रविवार ग्रहों के राजा सूर्य देवता का दिन है। ऐसे में इस दिन सूर्य देवता को प्रसन्न करने से सारे पापों से मुक्ति मिलती है। यमराज भगवान सूर्य देव के पुत्र है। ऐसे में पिता और पुत्र दोनों के पूजन का एक दिन पडऩा, अद्भुत संयोग है।
कैसे करें पूजन
नए साल 2023 के पहले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी के जल से स्नान करें। लाल वस्त्र पहनकर तांबे के लौटे से उगते सूर्य को अर्घ्य दें। फिर जल में पुष्प, लाल चंदन, लाल फूल, कुमकुम जरूर मिलाएं। जल चढ़ाते समय इस मंत्र का जाप करें –
ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।
संभव हो तो इस दिन सूर्य देव के मंदिर में सेवा करें। ये उपाय कई पीढिय़ों का उद्धार करता है। रविवार के दिन आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाने से धन लाभ मिलता है। इसके साथ ही मान सम्मान में वृद्धि होती है। यमराज को प्रसन्न करने के लिए सूर्य देव को दूध और घी अर्पित करना लाभकारी होता है। इस दिन सूरज ढलने के बाद घर के बाद यम के नाम दीपदान करें। दक्षिण दिशा में आटे का चौमुखी दीपक बनाकर सरसों के तेल का दीप प्रज्वलित करें। ये उपाय अकाल मृत्यु का भय मिटाता है और दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है।
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