हिंदू धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व है। इसी के साथ पूजा में इस्तेमाल होने वाली हर सामग्री का भी विशेष महत्व होता है। बता दें कि पूजा के दौरान रोली, अक्षत, फल, फूल, नारियल या लौंग का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन पूजन सामग्री के बिना कोई भी पूजा-पाठ या हवन अधूरा होता है। हालांकि पूजा के बाद अक्सर थोड़ी बहुत पूजन सामग्री बच ही जाती है। ज्यादातर लोग पूजा के बाद बची पूजन सामग्री को या तो मंदिर में रख देते हैं या फिर बहते जल में प्रवाहित कर देते हैं। वहीं ज्योतिषों के मुताबिक बची हुई पूजन सामग्री का इस्तेमाल जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए किया जा सकता है। बता दें कि हिंदू धर्म में लगभग हर पूजा पाठ में कुमकुम का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में अगर पूजा के बाद ये कुमकुम यानी रोली बच जाए तो घर की सुहागन महिलाएं इसे अपने मांग में लगा सकती हैं। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होगा। वहीं घर में कोई नई चीज खरीद कर ला रहे हैं तो इसका पूजन भी पूजा की बची हुई रोली से करना शुभ माना जाता है। पूजा के बाद अगर सामग्री में फूल बच जाएं तो उन्हें इधर उधर नहीं फेंकना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। ऐसे में आप बचे हुए फूलों को एक माला में पिरोकर उसे घर के मुख्य द्वार पर बांध दें। जब ये फूल पूरी तरह सूख जाएं तो उन्हें अपने घर में किसी गमले में डाल दें। इससे नए पौधे उग आएंगे। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है।
बचे हुए अक्षत
पूजा की थाली में अगर अक्षत बच जाए तो उसे अपने घर में रोज इस्तेमाल होने वाले गेहूं या चावल में मिला दें। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने सें मां लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है और घर में बरकत बनी रहती है।
बची हुई सुपारी
पूजा पाठ में सुपारी का भी बहुत महत्व होता है। पूजा के दौरान अक्सर पान के पत्ते पर सुपारी रखी जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूजा खत्म होने के बाद इस सुपारी को एक लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रख दें। माना जाता है कि ऐसा करने से घर में कभी धन की कमी नहीं होती है।
नोट: यह सूचना इंटरनेट पर उपलब्ध मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है। छत्तीसगढ़ राज्य न्यूज पोर्टल लेख से संबंधित किसी भी इनपुट या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी और धारणा को अमल में लाने या लागू करने से पहले कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।