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क्या लालफीताशाही ने रोक रखी है संविदा कर्मचारियों का नियमितिकरण ?

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा संविदा कर्मचारियों के नियमितिकरण संबंधी पत्रकारों के प्रश्न पर अपनी पीड़ा वक्त करते हुए कहा गया कि आधे विभाग के विभागीय अधिकारियों द्वारा अभी तक जानकारी नहीं दी गई है। इसके बाद प्रदेश के संविदा कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है, दिनभर सोशल मीडिया में तरह तरह के कमेंट देखने को मिल रहे हैं। सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ ने एक ओर जहां संबंधित अधिकारियों के खिलाफ साढ़े चार साल में जानकारी एकत्रित नहीं किए जाने के कारण कारवाई की मांग की है। वहीं छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष अशोक कुर्रे ने प्रदेश में लालफीताशाही चरम पर होने का आरोप लगाया है। उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल संविदा कर्मचारियों के नियमितिकरण को लेकर गंभीर है, इसमें कोई शंका नहीं कि संविदा कर्मचारियों के नियमितिकरण सरकार का प्रयास जारी है। किंतु साढ़े चार साल में जानकारी के अभाव में संविदा कर्मचारियों का नियमितिकरण नहीं हो पाना दुर्भाग्यजनक् है। लोकतंत्र में जनता अपनी सरकार चुनती है और चुनी हुई सरकार जनता के लिए कार्य करते है। कार्यपालिका का काम होता है सरकार की मंशा अनुरूप उस दिशा में कार्य करे। छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के बाद लगातार विधानसभा में माननीय सदस्यों को नियमितिकरण के संबंध में पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर में जानकारी नहीं आने की जानकारी दे रहे है। गौर करेंगे तो हर बार विधानसभा में पूछे गए प्रश्नों में माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने यही जानकारी दी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में लालफीताशाही किस कदर हावी है। एक-दो नहीं लगभग 22 विभाग के विभागीय अधिकारियों ने जानकारी नहीं भेजी है, जिसके कारण बजट 2023-,24 में भी नियमितिकरण नहीं किया जा सका, यह छत्तीसगढ़ के लिए दुर्भाग्यजनक है। एक तरफ राहुल गांधी एवम प्रियंका गांधीजिन जिन राज्यों में चुनाव हुए वहां संविदा कर्मचारियों के नियमितिकरण को प्रमुखता से इस अभिशाप को मिटाने दृढ़ता दिखाई। कांग्रेस पार्टी ने इसी संकल्प के साथ छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 के जनघोषणा पत्र के बिंदु क्रमांक 11 में संविदा कर्मचारियों को नियमितिकरण करने प्रमुखता से शामिल किया है। इसके बाद भी विभागीय अधिकारियों के इस तरह लापरवाह रवैया के चलते नियमितिकरण नहीं होने के बाद जमीनी स्तर के कर्मचारी आंदोलित है।

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