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अयोध्या के लिए मुस्लिम मूर्तिकारों ने बनायी हैं मूर्तियां

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के बारासात दीघार मोड़ इलाके के निवासी दो मुस्लिम मूर्तिकार जो कि रिश्ते में बाप-बेटे हैं, ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के आगामी भव्य उद्घाटन के लिए भगवान राम की मूर्तियां तैयार की हैं। मूर्तिकार मोहम्मद जमालुद्दीन और उनका बेटा बिट्टू मंदिर में स्थापित होने जा रही भव्य मूर्तियों को बनाने में दिन रात लगे हुए थे और आखिरकार उनकी तैयार फाइबर की भगवान श्री रामचंद्र की दो मूर्तियों अयोध्या भेज दी गयी हैं। अब दोनों प्रतिमाएं मंदिर परिसर की शोभा बढ़ाएंगी। मिली जानकारी के अनुसार मंदिर के सुंदरीकरण के लिए मूर्तिकारों की खोज के दौरान पिता-पुत्र की जोड़ी का काम ऑनलाइन खोजा गया और फिर उन्हें अयोध्या से यह ऑर्डर मिला। बारासात के मूर्तिकार जमालउद्दीन ने कहा कि मिट्टी की तुलना में फाइबर की मूर्तियों की लागत अधिक पड़ती है मगर फाइबर की मूर्तियों का स्थायित्व अधिक रहता है। इन मूर्तियों पर मौसम का असर भी कम पड़ता है। उन्होंने बताया कि एक आदमकद फाइबर मूर्ति की कीमत लगभग 2.8 लाख रुपये हो सकती है, बाकी मूर्ति पर कैसा सूक्ष्म काम किया गया है इस पर भी कीमतें बढ़ायी या घटाई जा सकती हैं। पिता-पुत्र की जोड़ी का काम ऑनलाइन खोजा गया और फिर उनके काम को पसंद कर उन्हें कई मूर्तियों के लिए ऑर्डर मिले। अयोध्या से मूर्तियों का आर्डर मिलेगा क्या इसकी कल्पना उन्होंने की थी, उनके दिमाग में क्या आया जब उन्हें ऑर्डर मिला के जवाब में जमालुद्दीन ने कहा, “धर्म एक निजी चीज है। हमारे देश में विभिन्न धर्मों के लोग हैं। उनका एक सरल संदेश है कि देश के हित व विकास में हम सभी को एक साथ रहना होगा। मैं भगवान राम की मूर्ति बनाकर खुशी महसूस कर रहा हूं। भाईचारे की यही संस्कृति मैंने अपनी कलाकारी के जरिये प्रस्तुत की है। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात पर गर्व है। उन्होंने कहा कि न केवल राम की, बल्कि मैंने मां दुर्गा और मां जगद्धात्री की भी विशाल मूर्तियां बनाई हैं, जिन्हें काफी लोकप्रियता भी मिली है। उन्होंने गर्व से कहा कि वह वर्षों से विभिन्न हिंदू-देवताओं की फाइबर मूर्तियां बना रहे हैं और वे जिस सांस्कृतिक सद्भाव का प्रतिनिधित्व करते हैं, उसे कला के जरिये संजाेये हुए हैं। पिता के नाम पर कार्यशाला चलाने वाले जमालुद्दीन के बेटे व युवा मूर्तिकार बिट्टू ने बताया कि एक आदमकद प्रतिमा बनाने में 30 से 35 लोगों की टीम और लगभग एक से डेढ़ महीने का समय लगता है।

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