आजकल की भागदौड़ भरी जिदंगी में स्ट्रेस होना आम बात है। बिजनेसमैन से लेकर स्टूडेंट्स तक सब स्ट्रेस के बोझ से दबे हुए है। इस स्ट्रेस को कम करने के लिए हम तमाम तरह के उपाय करते है, मेडिसिन भी लेते है। लेकिन क्या आपको पता है इस स्ट्रेस को कम करने का सबसे कारगर तरीका है पारिजात (Parijat )के फूलों की सुगंध। जी हां हम बात कर रहे है देववृक्ष पारिजात की।
वैसे तो पारिजात का घर में होना ही सौभाग्य की बात है। इसके एक से बढ़कर एक गुणों के चलते कि पारिजात सभी वृक्षों मे सबसे अधिक पूजनीय है। इसे हरसिंगार व शेफालिका के नाम से भी जाना जाता है। इसके गुणों को देखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने इसे अपना राज्य वृक्ष घोषित किया हुआ है। यह पेड़ हिमाचल की तराई में ज्यादा पाया जाता है। इसके फूलों की खुशबू पूरे वातावरण को मादक बनाए रखती है।
पारिजात के पौधे को आप अपने लॉन में भी लगा सकते हैं। यह पौधा जीवन में समृद्वि और खुशियां लाने वाला माना जाता है। कहते है कि इस पौधे से स्पर्श से व्यक्ति की थकान क्षणभर में दूर हो जाती है। पारिजात के फूल सूर्यास्त के एक घंटे बाद खिलते हैं और सूर्योदय होने से पूर्व पेड़ से गिर जाते हैं।
अगर रोज सुबह पारिजात के पेड़ के पास व्यायाम किया जाए, तो इससे दिनभर ताजगी बनी रहती है। काम के दौरान स्ट्रेस नहीं होगा। अगर महिलाओं के स्वभाव में चिड़चिड़ापन है तो उन्हें Parijat के फूलों की माला या गजरा बनाकर पहना जा सकता है। इससे उनका चिड़चिड़ापन कुछ की दिनों में गायब हो जाएगा।
महाकवि कालिदास ने भी अपनी कृतियों में 9 जगह पारिजात के गुणों का उल्लेख किया है। कालिदास का मानना है कि पारिजात की मादक सुगंध चिंता और थकान को दूर करने वाली है। प्रतिदिन पूजित होने वाला यह वृक्ष सौभाग्य की वृद्वि करने वाला है।
पारिजात के पुष्प भगवान शिव पर चढ़ाने वाले की हर मनोकामना पूर्ण होती है। हर मास को आने वाली शिवरात्रि को चढ़ाया जाएं तो और भी अच्छा है।
ऐसा कहा जाता है कि पारिजात के फूलों के डंठल से बने चंदन का पानी में मिलाकर उससे भगवान शिव का अभिषेक किया जाए तो भगवान जल्दी प्रसन्न होते है। पारिजात इस धरती पर इकलौता ऐसा पौधा है जिसके फूल धरती पर गिरने के बाद भी भगवान को चढ़ाए जाते है।
वास्तुदोष को दूर करें पारिजात (Parijat)
वास्तु शास्त्र में तो पारिजात को एक प्रभावशाली यंत्र के रूप में माना गया है। वैसे तो इसे घर के किसी भी भाग में लगाया जा सकता है लेकिन पारिजात लगाने के लिए नॉर्थ-वेस्ट जोन सबसे अच्छा माना गया है। यह किसी भी प्रकार के वास्तु दोष को कम करने में सहायक माना जाता है। यदि आपको लगता है कि आपकी सुख-समृदि्ध रुक गई है आपका गुडलक फैक्टर कम हो गया तो सबसे पहले पारिजात का पौधा अपने गार्डन या गमले में लगाएं, इससे वास्तु दोष कम होगा। यह छोटा प्रयोग आपको बड़ा लाभ देगा।
पारिजात का आयुर्वेद में महत्व
- पारिजात के गुणों के कारण इसे आयुर्वेद में अमृत वृक्ष के रूप में जाना जाता है।
- Parijat सबसे बड़ा प्राकृतिक इम्यूनिटी बुस्टर है। आप इसके और तुलसी के पत्तों की चाय बनाकर भी पी सकते हैं।
- डायबिटिक न्यूरोपैथी या साइटिका से पीड़ित व्यक्ति यदि 40 दिन तक लगातार पारिजात।(Parijat) के पत्तों का काढ़ा पिएं तो बीमारी को जड़ से मिटा देगा।
- पारिजात के पत्तों का काढ़ा दर्द निवारक औषधि के रूप में कार्य करता है।
- वात से संबंधित रोगों के निवारण में यह अति उपयोगी है।
- यह हर तक बुखार के लिए यह रामबाण दवा की तरह काम करता है।
- चर्म रोग और कब्ज के उपचार में पारिजात वृक्ष के बीजों का प्रयोग किया जाता है।