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होली में वृक्ष व जल का संरक्षण करना बेहद जरूरी

अमलेशवर. हमारे भारत देश का बहुत ही उत्साह व खुशी का प्रमुख धार्मिक पर्व होली है जिसे हमारे भारत देश में बहुत ही धूमधाम व खुशहाली पूर्वक मनाया जाता है इस पर्व में लोग एक दूसरे को प्रेम रूपी रंग में अलग-अलग रंगों में रंग देते हैं जो बहुत ही आकर्षक व खुशी प्रदान करता है वास्तव में ये धार्मिक पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत है , अहंकार पर प्रेम का जीत है भक्त और भगवान के बीच सच्ची प्रेम और भक्ति की जीत है जहां साक्षात भगवान श्री हरि विष्णु अपने प्रिय भक्त प्रहलाद को होलिका रूपी अग्नि से प्रहलाद को आग से जलने की रक्षा करता है और होलिका रूपी राक्षसी प्रवृत्ति अहंकार अहं का नाश होता है और इसी खुशहाली में होलिका दहन का पर्व बड़े ही धूमधाम से सूखी लकड़ी व गाय के गोबर से बने कंडे को एक जगह एकत्रित कर होलिका दहन पूरी विधि विधान से पूजा कर जलाई जाती है कहीं-कहीं पर हमारे छोटे-छोटे बच्चों के द्वारा अज्ञानता वश व उपद्रवी किस्म के लोगों के द्वारा हमारे हरे-भरे वृक्षों को भी होलिका दहन कर हमारे हरे भरे पेड़ पौधे को ही जला दी जाती है जो कि स्वच्छ पर्यावरण की दृष्टिकोण से कतई ही उचित नहीं कहा जा सकता है होलिका दहन के लिए हमें सीमित मात्रा में सूखी लकड़ी व गाय के गोबर से बने कंडे ही सबसे उपयुक्त है कहीं-कही पर लोग पुराने टायर प्लास्टिक को भी जला देते हैं जो पर्यावरण के लिए बहुत ही नुकसानदायक है जिसके जलने से पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड ,कार्बन मोनोऑक्साइड ,नाइट्रोजन डाइऑक्साइड , सल्फर , डायोक्सिन नामक गैस का उत्सर्जन होता है जिससे हमारे पर्यावरण प्रदूषित होकर कैंसर जैसे भयावह बीमारी होने की संभावना भी बढ़ जाती है । इन गैसों का उत्सर्जन से हमारे स्वच्छ पर्यावरण पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही ज्यादा हानिकारक है रंगों के पर्व होली को हमें सूखी होली रासायनिक रंगो के बजाय हर्बल किस्म के रंगो से खेलने के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित करना चाहिए बहुत से लोग पानी से गीली होली पानी द्वारा खेल कर हमारे पीने के पानी को बेवजह बर्बाद करते हैं , हमें जहां तक हो सके बेवजह जल की बर्बादी को रोकने का पुर जोर भर्षक प्रयास करना ही चाहिए क्योंकि इस गर्मी के सीजन में पीने का पानी का संकट कहीं-कहीं बहुत ही ज्यादा विकराल दिखाई देता है हमारे देश के बड़े शहरों चेन्नई व बेंगलुरु में में अभी से जल संकट की स्थिति बहुत भयावह है इसलिए हमें इस संकट को कहीं हमारे छोटे-छोटे नगरों व शहरों में भी ना हो पाए इसलिए हम सबको इस रंगों की पर्व होली को प्रेम रूपी रंग गुलाल से ही सूखी होली खेल कर मनाना चाहिए और जहां तक हो सके जल की बर्बादी को रोकने का संकल्प लिया जाना चाहिए अँचल की सामाजिक संस्था छत्तीसगढ़ पर्यावरण मित्र समिति ने लोगों से स्वच्छ पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए हरे भरे वृक्षों को होलिका दहन के रूप में न काटने व न जलाने के साथ ही पानी की बर्बादी को रोकने का गुजारिश किये हैं । समिति के अध्यक्ष डॉ अश्वनी साहू, वरिष्ठ सलाहकार ललित बिजौरा, गीता लाल साहू, संजू साहू ,कौशल वर्मा ,कोमल वर्मा सोहन साहू, प्रभु यादव ,गोपी साहू ,शैलेष साहू कुणाल साहू , धर्मैंद सोनवानी ,कुलदीप धीवर ,कमलेश साहू ,चोवा साहू ने लोगों से आग्रह किया हैं कि खुशहाली का हमारे रंग पर्व होली में स्वच्छ पर्यावरण का ध्यान रखने का आदत सा बनाते ही जाय ,तभी हम सब स्वस्थ व सुखी रह पायेंगे ।

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