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Income Tax Return: रिटर्न फाइल कर रहे हैं तो इन गलतियों से बचें नहीं तो आएगा नोटिस

अश्विनी कुमार शर्मा

टैक्स चुकाने और ITR दाखिल करने के बाद भी अगर आपके पास टैक्स नोटिस आता है तो हो सकता है कि आप हैरान रह जाएं। लेकिन, ऐसा हो सकता है। गुजरे कुछ वर्षों में इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग को पूरी तरह से एक ऑनलाइन प्रक्रिया में तब्दील कर दिया गया है। हालांकि, चूंकि आपको कई तरह के ब्योरे भरने पड़ते हैं और अलग-अलग स्टेप्स का पालन करना होता है, ऐसे में इस बात के काफी आसार हैं कि आपसे कोई गलती हो जाए या आप कोई गलत जानकारी इसमें भर दें। मिसाल के तौर पर, आप एक गलत ITR फॉर्म का चुनाव कर सकते हैं। आप इसमें किसी आमदनी की गलत रिपोर्टिंग कर सकते हैं, गलत सेल्फ-असेसमेंट टैक्स चालान ब्योरा दाखिल कर सकते हैं या गलत टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) ब्योरा दर्ज कर सकते हैं। इसके अलावा आप टैक्स डिडक्शन अकाउंट नंबर या कोई दूसरा ब्योरा भी गलत दाखिल कर सकते हैं। ऐसी किसी भी गलती से आपके पास टैक्स नोटिस आ सकता है। यहां ऐसी सामान्य गलतियों पर नजर डालते हैं जो आपसे हो सकती हैं। साथ ही हम यह भी बताएंगे कि आप इन गलतियों को करने से कैसे बच सकते हैं।

गलत ITR फॉर्म भरने पर

वही ITR फॉर्म चुनिए जो आप पर लागू होता है। नांगिया एंड कंपनी एलएलपी के पार्टनर शैलेष कुमार कहते हैं, “सरकार ने अलग-अलग तरह के टैक्सपेयर्स के लिए अलग-अलग आईटीआर फॉर्म बनाए हैं। ये उनके रेजिडेंशियल स्टेटस, उनकी आमदनी किस मद में आती है, टैक्सेबल इनकम के स्तर, किसी कंपनी के शेयर रखने या किसी कंपनी के डायरेक्टर होने या किसी पार्टनरशिप फर्म के सदस्य होने जैसी चीजों पर निर्भर करता है। अक्सर टैक्सपेयर्स इन नियमों को अनदेखा कर देते हैं और ऐसे में गलत फॉर्म का चुनाव कर लेते हैं।” ऐसे में एक सही आईटीआर फॉर्म का चयन करना बेहद जरूरी है। अगर आप गलत आईटीआर फॉर्म में अपना रिटर्न फाइल करते हैं तो इसे इनवैलिड या अमान्य करार दिया जाएगा। ऐसे मामलों में आपको टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से नोटिस आएगा।

कोई आमदनी छूट जाना

आईटीआर दाखिल करने वाले लोग एक आम गलती यह करते हैं कि वे अपनी आमदनी को दर्ज करना भूल जाते हैं। आपकी कंपनी टैक्स काटती है और आपको फॉर्म 16 देती है। लेकिन, आपको क्या यही कमाई हुई है? एक आम सेविंग्स बैंक बैलेंस पर आपको ब्याज मिलता है. यह भी टैक्सेबल होता है। आपका निवेश भले ही छोटा क्यों न हो, लेकिन इसका खुलासा किया जाना चाहिए। हो सकता है कि आपके फॉर्म 16 में इस कमाई को कवर नहीं किया गया हो। कुमार कहते हैं, “कई दफा टैक्सपेयर्स और खासतौर पर सैलरीड टैक्सपेयर्स मूलरूप से अपने फॉर्म 16 या अपने नियोक्ता के जारी किए गए टीडीएस सर्टिफिकेट के आधार पर अपना आईटीआर फाइल करते हैं। ऐसे में कई बार वे अपनी दूसरी कमाई का जिक्र करना भूल जाते हैं। इनमें ब्याज से होने वाली कमाई या कोई दूसरी आमदनी शामिल हो सकती है। इस तरह के ब्योरों को इकट्ठा किया जाना चाहिए और आईटीआर फॉर्म फाइल करते वक्त ये ब्योरे आपके पास होने चाहिए।” टैक्स रिटर्न का आकलन करते वक्त टैक्स डिपार्टमेंट इस मिसिंग इनकम को नोटिस कर सकता है और आपको नोटिस जा सकता है।

टैक्स क्रेडिट का मिलान न होना

इसका मतलब यह है कि आपके टैक्स रिटर्न में क्लेम किए गए टैक्स क्रेडिट और इनकम टैक्स अथॉरिटीज के पास मौजूद रिकॉर्ड्स के बीच अंतर होना। इस जानकारी में मिलान न होने की कई वजहें हो सकती हैं। इसमें से एक यह है कि आपने गलत सूचना दाखिल की हो। या, डिडक्टर ने टैक्स डिपार्टमेंट में टीडीएस जमा न किया हो या यह आपके फॉर्म 26 एएस में दिखाई न दे रहा हो। ऐसे में टैक्स नोटिस से बचने के लिए आमदनी से कटने वाले टैक्स का फॉर्म 26 एएस में दिखाई देने वाले टीडीएस से मिलान कर लें। अगर इसमें अंतर दिखाई देता है तो इसे टैक्स रिटर्न दाखिल करने से पहले ठीक करा लें।

गलत डिडक्शंस क्लेम करना

आयकर विभाग इंडीविजुअल्स के लिए 80सी, 80डी और 24(बी) जैसे अलग-अलग सेक्शंस के तहत कई तरह के टैक्स डिडक्शंस देता है। ये डिडक्शंस निवेश या खर्च के लिए उपलब्ध होते हैं। इनके अलावा, इन डिडक्शंस और एग्जेंप्शंस का आकलन करते वक्त कई तरह के नियमों और सीमाओं को देखा जाता है। कुमार कहते हैं, “हालांकि, कई बार टैक्सपेयर्स कोई गलत रकम या किसी गलत सेक्शन के तहत डिडक्शन डाल देते हैं। इसके चलते उनकी टैक्स लाइबिलिटी में अंतर आ जाता है।” नतीजतन, टैक्स नोटिस आना लाजिमी हो जाता है। ऐसे में डिडक्शंस क्लेम करते वक्त यह जरूरी है कि आपको टैक्स नियमों का सही ज्ञान हो। अगर आपको दिक्कतें आती हैं तो सही यही होगा कि आप किसी टैक्स एक्सपर्ट या चार्टर्ड अकाउंटेंट से राय ले लें।

टैक्स रिटर्न फाइल न करना

आपके लिए टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी हो, लेकिन अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो निश्चित तौर पर आपको टैक्स नोटिस आने के आसार बढ़ जाते हैं। याद रखिए, अगर आपकी ग्रॉस इनकम बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट से ऊपर है- 60 साल से कम उम्र वाले इंडीविजुअल्स के लिए 2.5 लाख रुपये तक, 60 से 80 साल वालों के लिए 3 लाख रुपये तक और 80 साल से ज्यादा उम्र वालों के लिए 5 लाख रुपये तक- तो आपको टैक्स रिटर्न फाइल करना चाहिए। ऐसे दूसरे भी मानक हैं जिनके आधार पर आपको टैक्स रिटर्न फाइल करना चाहिए। इसके अलावा, आपको आखिरी तारीख से पहले रिटर्न फाइल करना चाहिए। इस साल टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख बढ़ाकर 31 नवंबर 2020 कर दी गई है। आप इसके बाद भी यानी 31 मार्च 2021 तक भी रिटर्न फाइल कर सकते हैं, लेकिन आपको जुर्माना देना होगा। 31 मार्च के बाद यानी असेसमेंट ईयर के गुजरने के बाद आप टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया जा सकता है। हालांकि, भूल होना मानवीय रुझान है, लेकिन आखिरी वक्त तक चीजों को टालना गलतियां बढ़ाने के आसार पैदा करता है। ऐसे में जितनी जल्दी मुमकिन हो आप टैक्स रिटर्न फाइल कर दीजिए और ऊपर दी गई गलतियों को करने से बचिए।

(लेखक फ्रीलांसर हैं)

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