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मां कंबल के लिए लाइनों में लगती रही, बेटी की ठंड से तड़प-तड़पकर मौत

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उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले से दर्द भरी एक ऐसी बात सामने आई है जिसको सुनकर हर किसी की आंख नम हो गई है. इस भीषण ठंड में जहां लोगों के हाड़ कापे जा रहे हैं. ऐसे में महज एक फटे से स्वेटर के सहारे जिंदगी जीना कोई इस गरीब परिवार से पूछे, भीषण ठंड में घर की बड़ी बेटी बीमार हो गई. परिजन बीमार बेटी को इलाज के लिए सरकारी अस्पताल लेकर गए, लेकिन वहां उसे इलाज नहीं मिला. पीडि़तों ने आरोप लगाते हुए बताया कि डॉक्टर ने बेटी को भर्ती नहीं किया और बाहर की दवा दे दी, उनके पास दवा खरीदने तक के पैसे नहीं थे. दवा खरीदने के पैसे ने होने के चलते वह लोग अपनी बेटी को घर ले आए. लगातार ठंड बढ़ रही थी. घर में बिस्तर और गर्म कपड़े नहीं थे. कैसे भी करके एक छोटी सी चादर की कथरी बनाकर बेटी ओढ़ कर लेटी रहती थी. तभी मां को पता चला कि तहसील में कंबल बांटे जा रहे हैं मां दौड़ी-दौड़ी तहसील में गई और कंबल लेने के लिए लाइन लगा दी, लेकिन मां की फूटी किस्मत यहां पर भी उसकी गरीबी और बेबसी के आगे आ गई. जब तक नंबर आता तब तक कंबल खत्म हो चुके थे. मां दुबारा फिर गई और फिर उसके साथ वही हुआ ऐसे ही कई बार कंबल के लिए कई जगह लाइन लगाई, लेकिन नंबर नहीं आया. बेटी की तबीयत लगातार खराब होती रही. आस-पड़ोस के लोग जो मदद कर सकते थे करते रहे घर का खर्चा इधर उधर से मांग-मांग कर बमुश्किल चल रहा था. इस बीच युवती ने बीती शाम तड़प तड़प कर आखिरकार दम तोड़ दिया, लेकिन संवेदनहीनता की इंतहा तब हो गई जब एक युवती ने दम तोड़ा और जांच करने आए लेखपाल ने कहा वह लोग तहसील में आकर कंबल ले जाए. अगर यही मदद उसको पहले मिलती तो शायद एक मां को अपनी बेटी को न खोना नहीं पड़ता है, लेकिन संवेदनहीन प्रशासन आज भी गरीबों की जान का कोई मोल नहीं समझता है. मामला छिबरामऊ कोतवाली क्षेत्र के काशीराम कॉलोनी का है. काशीराम कॉलोनी निवासी रजनी देवी की शादी करीब 30 साल पहले किशन कुमार से हुई थी. बीते करीब 4 वर्ष पहले किशन कुमार की मौत हो गई. किशन कुमार जैसे तैसे मेहनत मजदूरी करके परिवार पाल लेता था, लेकिन किशन की मौत के बाद किशन की पत्नी रजनी देवी पर पूरे परिवार का भार आ गया. रजनी के 5 बच्चे हैं सबसे बड़ी बेटी 22 वर्षीय दिव्या ठंड की चपेट में आ गई. रजनी घरों में झाडू-पोछा, बर्तन साफ कर अपने परिवार को पालती थी, लेकिन लगातार बढ़ रही ठंड कहीं ना कहीं इन गरीब परिवारों पर अब भारी साबित हो रही है. पीडि़त रजनी ने बताया कि उसने कई बार राशन कार्ड के लिए तहसील के चक्कर काटे लेकिन उसका राशन कार्ड आज तक नहीं बना. बच्चे पैसों की कमी से पढऩे नहीं जाते. यह लोग भी इधर उधर से मांग कर लाते हैं जिससे घर का भरण पोषण होता है .पीडि़त रजनी और उसकी तीसरे नंबर की बेटी ने बताया कि घर में पैसों की कमी रहती है इसलिए हम लोग ज्यादा कुछ नहीं कर पाते घर की माली हालत बहुत ज्यादा खराब है. मृतक की बहन ने बताया कि दीदी को ठंड लग गई थी जिसके चलते वह बीमार थी. मृतक की मां ने बताया कि बेटी को इलाज के लिए अस्पताल ले गए थे जहां पर डॉक्टरों ने उसे भर्ती करने के लिए मना कर दिया और दवा के नाम पर बाहर की दवा लिख दी. जिसको हम लोग खरीद नहीं पाए. घर में गर्म कपड़े ना के बराबर हैं. बाहर से लकड़ी बीनकर और उसको जलाकर बमुश्किल ठंड को काट रहे हैं. कई बार तहसील में जाकर कंबल लेने के लिए लाइन लगाई लेकिन वहां पर कमल नहीं मिला जब तक हमारा नंबर आया तब तक कंबल खत्म हो गए.
पीडि़ता ने बताया कि बेटी को ठंड लगी जिसके चलते वह बीमार हो गई और गरीबी के चलते हम उसका ना तो इलाज करा पाए और ना ही उसको कोई गर्म चीज उढ़ा पाए जिसके चलते उसकी मौत हो गई. मामले में आस-पड़ोस के लोगों ने पीड़ित परिवार की जब तक हो सके मदद की, लेकिन वह लोग उसकी बेटी को बचा नहीं पाए. जिसने भी इस महिला की एक कहानी सुनी उसकी आंख नम हो गई. इस मां के पास अब अपनी बेटी के अंतिम संस्कार तक के पैसे नहीं थे ऐसे में स्थानीय लोग और सभासद आगे आए और चंदा करके बेटी का जैसे तैसे करके अंतिम संस्कार कराया.

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