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विशेष लेख: अयोध्या नगरी, जो मैंने देखी

अयोध्या में धर्म, इतिहास और सद्भाव का समावेश

पिछले अनेक वर्षों से अयोध्या के संबंध में ढेर सारे, लेख, रिपोर्ट, डॉक्युमेंट्री, आंदोलनों की खबरें देखते पढ़ते, जब इस बार के उत्तर प्रदेश प्रवास में मुझे अयोध्या प्रवास का अवसर मिला तो मैं क्षण भर में तैयार हो गया. क्योंकि मेरे मन में अनेक जिज्ञासाएँ थीं एक प्राचीन नगर, प्राचीन कोशल राज्य की राजधानी, उससे जुड़े अनेक किस्से कहानियाँ, हिन्दू धर्मावलंबियों के आराध्य श्री राम की जन्मभूमि, पहले कैसी रही होगी और वर्तमान में कैसे बदलाव आ रहे होंगे आदि आदि. मेरे एक मित्र जो अयोध्या में ही शासकीय सेवा में है उनसे भी चर्चा हुई तो उन्होंने कहा आप अयोध्या जी बिलकुल आइये. मैं आपके साथ वहाँ हर जगह चलूँगा और साथ ही चर्चा भी करते रहेंगे. अयोध्या उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण धार्मिक शहर है जो सरयू नदी के किनारे बसा है. यह साकेत, अवधपुरी, कोशल जनपद के नाम से भी वर्णित है. यहाँ सूर्यवंशी/रघुवंशी राजाओं का राज्य था जिनके कुल में श्रीराम हुए थे. लखनऊ से अयोध्या करीब 140 किलोमीटर है, 28 जनवरी को सबेरे सबेरे हम सपरिवार कार से निकले, लखनऊ से बाराबंकी होते हुए अयोध्या जनपद में प्रवेश करने पर अयोध्या विकास प्राधिकरण का स्वागतम का बोर्ड नजर आने लगता है, सड़क अच्छी है, और अयोध्या जनपद में थोड़ा अंदर जाते ही सड़क के बीच डिवाइडरों में श्री राम, के बाल रूप की प्रतिमा, हनुमान, सहित एक के बाद एक प्रतिमाएं नजर आने लगती हैं.कुछ समय के बाद हम अयोध्या स्थित नयाघाट पहुंच गए. वहाँ से हम एक स्थानीय मित्र के साथ आगे निकले जिसने हमें वहाँ के दर्शनीय स्थानों के संबंध में बताना आरम्भ किया. अयोध्या मूल रूप से मंदिरों का शहर कहा जा सकता है.

अयोध्या में सरयू नदी के तट पर एक बड़ा घाट नयाघाट है, जिसका सौंदर्यीकरण किया गया है, जिसमें स्नान, नौका विहार की सुविधा है. यहीं शाम को सरयू नदी की आरती होती है जिसमे काफी जनसमूह उपस्थित रहता है. नयाघाट से राम की पैड़ी शुरू होती है राम की पैड़ी सरयू नदी पर बने घाटों की श्रृंखला है, जिसमे एक के बाद एक घाट बने हैं. वहीं पर श्री राम के पुत्र कुश द्वारा बनवाया नागेश्वर नाथ मंदिर, तथा पास ही त्रेता के ठाकुर का मंदिर, जो कि बताया जाता है, श्री राम के अश्वमेध यज्ञ से सम्बंधित है, खूबसूरत रीवर फ्रंट तथा दूसरी तरफ उद्यान बना है. नया घाट पर ही लता मंगेशकर चौक है, जिसका लोकार्पण कुछ दिनों पूर्व हुआ है, विश्व विख्यात गायिका लता मंगेशकर की स्मृति में बने इस चौक में 40 फीट ऊंची वीणा की खूबसूरत प्रतिमा है चौक के बीच में चारों ओर 92 कमल के आकार के पत्थर के फूल लगाए गए हैं जो दिवंगत लता मंगेशकर की उम्र को दर्शाते हैं. राम की पैड़ी से यहीं से अयोध्या के मंदिरों की श्रृंखला शुरू हो जाती है, श्री राम की पैड़ी से होते हुए मुख्य सड़क पर आप चलते जाइये उसी मार्ग पर अनेक दर्शनीय स्थल हैं जिनमें पुराने महल, भवन और अनेक मंदिरों की श्रृंखला है. अयोध्या में अभी राम पथ के लिए यहाँ सड़क चौड़ीकरण का काम भी जोरों से चल रहा है. कुछ दूर जाने पर गोस्वामी तुलसीदास की स्मृति में बना तुलसी उद्यान नजर आता है जहाँ तुलसीदास की विशाल प्रतिमा लगी है. कुछ दूर पर अलग अलग दर्शनीय स्थल दिखते जाएंगे यही रास्ता पथ राम जन्मभूमि स्थल तक जाता है, जहाँ राम मंदिर निर्माण कार्य चल रहा है. राम की पैड़ी से कुछ दूरी पर एक टीले पर पर हनुमान गढ़ी है जो काफी ऊंचाई पर बनी है.वहॉ भी दर्शनार्थियों की भीड़ लगी थी. सड़क के दोनों ओर मिठाई, पुष्प, माला,फोटो, सिंदूर की दुकानें लगी हुई थीं. हनुमान गढ़ी से कुछ करीब सौ कदम की दूरी पर राजा दशरथ का विशाल महल बना हुआ है. जो दर्शनार्थियों के आकर्षण का एक केंद्र है, आगे चलते जाने पर पुरातन राजगद्दी भवन, राम कचहरी भवन, भरत, लक्ष्मण, के नाम पर प्राचीन भवन है. इसके पहले दाहिनी ओर कनक भवन नामक ऐतिहासिक महल है जो अपनी वास्तुकला के कारण दर्शनार्थियों के आकर्षण का एक और केंद्र है. इस भवन के पास ही नजदीक में सीता की रसोई भवन हैं. जहां रसोई बनाने के समान भी प्रतीकात्मक रूप से रखे हैं.

राम पथ पर ही कुछ दूर और आगे चलने पर सड़कों के किनारे लॉकर रखे हुए दिखाई देते है, जहाँ आगंतुकों से मोबाइल, पर्स, आदि समान रखवाया जाता है क्योंकि मंदिर निर्माण स्थल में ऐसी कोई भी वस्तु नहीं ले जाई जा सकती. सुरक्षा के लिए अनेक स्थानों पर चेकिंग होती है, सुरक्षा कर्मी मुस्तैदी से अपना काम करते दिखे, जो लाइन बना कर आगे भेज रहे थे जिनमें हिन्दू, मुस्लिम दोनों ही थे. कुछ दूर आगे चलने पर एक स्थान पर श्री राम की प्रतिमा दर्शनार्थ रखी हुई है, अभी उन्ही का दर्शन कराया जाता है कुछ दूर आगे चलने पर एक स्थान पर खुदाई में निकले पुराने अवशेष दर्शनार्थ रखे हुए हैं, दर्शनार्थियों को लाइन से जाने दिया जा रहा था. हमने देखा अयोध्या में अनेक नेत्र चिकित्सालय है, जो चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित हैं जो निशुल्क शिविरों का संचालन करते हैं, अयोध्या पारम्परिक रूप से परस्पर सौहार्द की नगरी रही है. जब देश में छोटे छोटे मामलों को लेकर आपसी तनाव हो जाता है तब भी वहाँ आम तौर पर शांति रहती है. हमें अयोध्या के इतिहास वर्तमान के बारे में जानकारी देने वाला व्यक्ति संतोष कुमार थे, वहीं तो दर्शनार्थियों को राम जन्मभूमि में भेजने के लिए व्यवस्था बनाने वालों में पुलिस कर्मियों में जावेद खान भी ड्यूटी पर थे, जो तन्मयता से कार्यरत थे. मेरे साथ रहे मित्र ने बताया किसी अन्य धर्म के दर्जी का भगवान राम की मूर्तियों के लिए वस्त्र सिलना आभूषण बनाना वहीं दूसरी ओर किसी हिन्दू का दूसरे धर्म के कार्यक्रम में मदद करना आम बात है. आपसी सहयोग और सद्भाव यहाँ की विरासत है. जो सदैव कायम रहती है. इसके अतिरिक्त अमावा राममंदिर, अनेक छोटे बड़े मंदिर, मणि पर्वत, बड़ी देवकाली, जैन श्वेतांबर मंदिर, गुलाब बाड़ी, गुप्तार घाट नन्दी ग्राम भरतकुंड आदि दर्शनीय स्थल हैं. लगभग सभी जगह बंदरों की टोलियां उछल कूद करती नजर आयी. कुछ आगंतुक उन्हें खाद्य सामग्री भी देते दिखाई पड़े. धार्मिक नगरी होने के साथ ही अयोध्या में अनेक अस्पताल, होटल, स्कूल सहित आधुनिक आवश्यक सुविधाएं भी उपलब्ध होने लगी है. मेरा बाद में वहाँ नेत्र चिकित्सालयों में भी जाना हुआ, चिकित्सकों, शिक्षकों से भी मुलाकात, चर्चा हुई, उन्हें वैज्ञानिक जागरूकता, अंधविश्वास निर्मूलन संबंधित किताबें भेंट, व चर्चा की. और वापस लौट आए.
डॉ.दिनेश मिश्र, नेत्र विशेषज्ञ, अध्यक्ष, अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति छत्तीसगढ़

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