चन्द्रभूषण वर्मा हाल के दिनों में मौसम में अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिल रहा है। कभी अचानक तेज गर्मी तो कभी अचानक बारिश सबको चौंका रही है। वैसे अभी मौसम गर्मी का चल रहा है, पर जहां एक ओर गर्मी मार्च महीने से ही शुरू हो जाती है और जून-जुलाई तक कायम रहती है, लेकिन इस साल देखने को नहीं मिला। इस साल भीषण गर्मी तो अभी मई महीने में ही देखने को मिली, जबकि अप्रैल महीने के अधिकांश दिन तो बदली बारिश में ही बीत गए। वहीं मई महीने में मौसम में खासी हलचल मची हुई है। भीषण गर्मी के बीच शाम को कहीं-कहीं बदली बारिश भी दिख रही है। मौसम विज्ञानी भी इसे चौंकाने वाला मानते हैं। वहीं मौसम में यह बदलाव के कई तरह के गंभीर परिणाम भी आने वाले कुछ वर्षों में दिखाई देंगे, ऐसा लगता है। एक बात तो तय है कि इस परिवर्तन के गहरे निहितार्थ हैं और हमारे मौसम चक्र के लिये यह शुभ संकेत कदापि नहीं है। मौसम के बदलावों से हमारी वनस्पति, फसलों व फलों के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और उनका स्वाभाविक विकास भी बाधक होता है। कहा जा रहा है कि यह असामान्य मौसम आज के दौर का नया सामान्य है। पिछले मार्च में अचानक गर्मी का बढ़ जाना और मई में तापमान का सामान्य से कम हो जाना अच्छा संकेत नहीं कहा जा सकता। मार्च में गेहूं की फसल के पकने के समय बढ़ी गर्मी से इसके उत्पादन में कमी आने की बात सामने आई थी। चौंकाने वाली बात यह भी है कि मई माह में हिमालय पर्वत शृंखलाओं की ऊंची चोटियों पर हिमपात हुआ। निस्संदेह, इस मौसम में जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड व हिमाचल में कम ऊंचाई वाले इलाकों में हिमपात होना आश्चर्य की ही बात है। ये दुर्लभ घटनाएं हमारी चिंता का विषय होनी चाहिए। कहने को तो कहा जा रहा है कि रिकॉर्ड निम्न तापमान गर्मी से राहत देने वाला है, लेकिन मौसम के मिजाज में बदलाव हमारी चिंता का विषय होना चाहिए। यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि मौसम में इस तरह के उतार-चढ़ाव दरअसल जलवायु संकट का विस्तार बताये जाते हैं। आशंका जतायी जा रही है कि इस बदलाव का असर मानसून की गुणवत्ता पर भी पड़ सकता है। सवाल यह है कि आखिरकार देश गर्मी के मौसम में कम तापमान क्यों बर्दाश्त कर रहा है? मई के महीने में केदारनाथ, बद्रीनाथ समेत कई पहाड़ी इलाकों पर बर्फबारी हो रही है। दिल्ली में पिछले साल इस समय जो तापमान था उससे कई डिग्री नीचे चल रहा है. पिछले हफ्ते कई जगहों पर ओले गिरे. तूफान आया. तेज बारिश हुई. गर्मी क्या चली गई है? क्या अब गर्मी खत्म हो गई है? पिछले साल 1 मई को देश का औसत अधिकतम तापमान 43.5 डिग्री सेल्सियस था. जो इस साल 28.7 ही रहा. 5 मई 2022 को 39.1 डिग्री सेल्सियस था, जो इस साल 32.1 डिग्री सेल्सियस रहा। तापमान में इतना अंतर आया कहां से. जहां तक बारिश की बात रही तो मई के महीने में कई इलाकों में बारिश होने का इतिहास रहा है. लेकिन इस बार बारिश जहां भी हुई तेज हुई. ताबड़तोड़. राजस्थान के कुछ इलाकों में ओले पड़े। यह सब सोचने का विषय है। रिपोट्र्स में बताया जा रहा है कि मौसम में आ रहे बदलाव की वजह पश्चिमी विक्षोभ है। 27 अप्रैल से 3 मई के बीच पश्चिमी विक्षोभ ने हिमालय को कई बार हिट किया है. ये खास प्रकार के बारिश वाले सिस्टम है, जिनकी उत्पत्ति भूमध्यसागर में होती है. फिर ये पूर्व की ओर बढ़ती हैं. भारत में बारिश और बर्फबारी करवाती हैं. इन्हीं की वजह से हिमालय और मैदानी इलाकों में बर्फबारी और बारिश हो रही है. कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसकी वजह अल-नीनो है. यानी मध्य और पूर्वी ट्रॉपिकल प्रशांत महासागर के समुद्री सतह का गर्म होना। कुल मिलाकर देखा जाए तो मौसम का ये अप्रत्याशित बदलाव कहीं ना कहीं कुछ गंभीर और संकट का संदेश देने वाला है। ग्लोबल वार्मिंग इसकी सबसे बड़ी वजह है। लगातार कट रहे जंगल भी इसकी खास वजह है। इस साल वैसे ठंड का अहसास भी अन्य सालों के मुकाबले कम ही रहा है। इससे उम्मीद जताई जा रही थी कि भीषण गर्मी पडऩे वाली है, पर गर्मी आते-आते फिर मौसम में अप्रत्याशित बदलाव हुआ। अब आने वाला समय मानसून का है, लेकिन कहा जाता है भीषण गर्मी के बाद ही मानसून अच्छा होता है। पर इस साल जिस तरह ठंड और गर्मी रही, क्या मानसून भी कुछ ऐसा ही रहने वाला है, यह तो समय ही बताएगा।