पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश में डेंगू से मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। लेकिन, इसे छिपाने के लिए भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने अजीब ही तरकीब निकाल ली है। डेंगू पर काबू पाने की कोई भी कोशिश करने की बजाए निजी अस्पतालों को आदेश दिए गए हैं कि वे किसी भी मरीज में डेंगू की पुष्टि न करें। साथ ही किसी मरीज की मौत का कारण भी डेंगू न बताएं। डेंगू की पुष्टि सिर्फ स्वास्थ्य विभाग करेगा। इधर, स्वास्थ्य विभाग लगातार हो रही मौतों के बावजूद अपनी किरकिरी होने से बचाने के लिए मृतकों की असल संख्या को छिपा रहा है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहाकि जब बुखार और डेंगू का सीजन हर साल आता है तो फिर गठबंधन सरकार ने पहले से तैयारी क्यों नहीं की। शहरों व गांवों में न तो फॉगिंग करवाई गई और न ही बुखार को देखते हुए संवेदनशील घोषित इलाकों में मच्छरदानी वितरित की गई। यही नहीं, सरकारी अस्पतालों में डेंगू मरीजों के समुचित इलाज के लिए भी पूरे इंतजाम नहीं किए गए। अब अन्य सालों के मुकाबले डेंगू से मरने वालों की संख्या बढ़ रही है तो सरकार अपना पूरा दम लोगों की जान बचाने की बजाए मौत के आंकड़े को छिपाने में लगा रही है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहाकि इस साल आधे से अधिक हरियाणा को बाढ़ का सामना करना पड़ा। ऐसे में जनता को बुखार व अन्य बीमारियों से बचाने के लिए कोई भी एहतियातन कदम नहीं उठाए गए। इसकी वजह यही है कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार को प्रदेश के पौने तीन करोड़ लोगों के स्वास्थ्य की कोई फिक्र ही नहीं है।
कुमारी सैलजा ने कहाकि स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही के मामले हर सप्ताह प्रदेश के किसी न किसी कोने से आते रहते हैं। इन पर भी लगाम लगाने की कोई कोशिश आज तक नहीं की गई। सरकारी अस्पतालों, सीएचसी, पीएचसी में न तो स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने की ओर कोई ध्यान दिया गया और न ही स्वास्थ्य विभाग की बिगड़ चुकी सेहत को सुधारने के लिए कोई कदम उठाया गया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में लैब, पैरा मेडिकल स्टाफ, डॉक्टर और स्पेशलिस्ट डॉक्टर के हजारों पद खाली पड़े हैं। इनमें से काफी पद तो ऐसे हैं, जिनके लिए किसी तरह की भर्ती प्रक्रिया भी अभी तक शुरू नहीं की गई है। मेडिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ के हजारों पद खाली हैं।
पीजीआई रोहतक जो अब मेडिकल यूनिवर्सिटी है, में डॉक्टरों के 45 प्रतिशत पद खाली हैं। इससे साफ है कि गठबंधन सरकार बीमार हो चुके स्वास्थ्य विभाग को दुरुस्त नहीं करना चाहती और लोगों के इलाज को लेकर पूरी तरह संवेदनहीन बनी हुई है।