Wednesday, December 10

मां की परिभाषा अनंत है. मां की ममता का कोई मोल नहीं और मां के समान जग में कोई और नहीं. मां की इसी भूमिका को सेलिब्रेट करने के लिए दुनियाभर में मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे के रूप में मनाया जाता है, जोकि मां को समर्पित होता है. इस साल 2024 में मदर्स डे 12 मई को मनाया जाएगा. भारतीय संस्कृति में मां का स्थान सर्वोपरि है. अपने संतान की खुशी की खातिर एक मां दुनियाभर से लड़ सकती है. लेकिन जब एक संतान ही मां से लड़ बैठे या उसका अपमान करने लगे तो भले ही मां दयाभाव दिखाकर माफ कर दे, लेकिन ग्रहों के प्रकोप से आपको कोई नहीं बचा सकता और इसका दंड आपको जरूर मिलता है. क्योंकि मां का अपमान करने या उन्हें दुखी करने से कुंडली में ग्रह दोष उत्पन्न होते हैं. साथ ही जो संतान अपनी मां का अपमान करता है उसे जीवन में कभी सफलता नहीं मिलती और ऐसे लोग सुख-शांति से वंचित रह जाते हैं. इस ग्रह से होता है मां का संबंध ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र ग्रह को मातृभाव का कारक ग्रह माना गया है. यानी चंद्रमा का संबंध माता से होता है. मां का अपमान करने से कुंडली में चंद्र दोष लगता है. चंद्र दोष के कारण व्यक्ति का जीवन कष्टदायक हो जाता है. उसे आनंद और शांति की प्राप्ति नहीं होती. मां का अपमान करने वाले या उन्हें कटु वचन कहने वालों को मानसिक त्रास जैसी भयावह स्थिति से गुजरना पड़ता है. इसलिए रिश्तों को मजबूती देकर ग्रह को मजबूत और जीवन को सफल बनाएं. ज्योतिष के अनुसार मां के साथ संबंध अच्छे हों तो चंद्रमा की स्थिति कुंडली में मजबूत होती है. इससे मानसिक स्थिति बेहतर होती है और व्यक्ति परेशानियों से निपटने में सक्षम होता है. कुंडली के पहले भाव में चंद्रमा है तो व्यक्ति के भीतर मां के सभी लक्षण होते हैं और उन्हें मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है. ऐसे लोगों का अपनी मां से बहुत लगाव होता है और वे उन्हें खुश रखते हैं. ऐसे लोग जीवन में खूब उन्नति करते हैं और उनका जीवन सुखी रहता है. ज्योतिष के अनुसार कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा हो तो मां के गुण बच्चे को मिलते हैं. जिनकी कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा हो, उन्हें हमेशा अपनी मां के चरण छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए. इससे जीवन में तरक्की होती है. यदि कुंडली के सातवें घर में चंद्रमा हो तो कुछ समस्याएं हो सकती हैं. क्योंकि सातवां घर मां और पत्नी के बीच रिश्तों में तनाव पैदा कर सकता है. कुंडली में आठवें भाव में चंद्रमा के होने पर व्यक्ति के मातृत्व सुख में कमी रहती है और शिक्षा का भी अभाव रहता है. क्योंकि आठवां भाव मंगल और शनि के अंतर्गत आता है. यदि इस भाव में चंद्रमा हो तो शिक्षा पर इसका प्रभाव पड़ता है. यदि किसी कारण शिक्षा अच्छी रही तो मां का जीवनकाल कम रहता है. कुंडली के ग्यारहवें भाव और बारहवें भाव में चंद्रमा के होने के दिक्कतें होती हैं. ये दिक्कतें केतु के कारण हो सकती है. क्योंकि ग्यारहवें भाव में चंद्रमा के होने और चौथे भाव में केतु के होने से मां का जीवन खतरे में होता है. वहीं बारहवें भाव में चंद्रमा और चौथे भाव में केतु के होने से संतान और माता दोनों पर इसका असर पड़ता है.

नोट: यह सूचना इंटरनेट पर उपलब्ध मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है। छत्तीसगढ़ राज्य न्यूज पोर्टल लेख से संबंधित किसी भी इनपुट या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी और धारणा को अमल में लाने या लागू करने से पहले कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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