Sunday, December 7

-पंडित यशवर्धन पुरोहित

उदया तिथि के अनुसार, योगिनी एकादशी 2 जुलाई, मंगलवार को मनाई जाएगी। इसी दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत भी रखा जाएगा। योगिनी एकादशी तो प्राणियों को उनके सभी प्रकार के अपयश और चर्म रोगों से मुक्ति दिलाकर जीवन सफल बनाने में सहायक होती है।

आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को धर्मग्रंथों में योगिनी एकादशी कहा गया है। वैदिक पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि 1 जुलाई को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 2 जुलाई को सुबह 8 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, योगिनी एकादशी 2 जुलाई, मंगलवार को मनाई जाएगी। इसी दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत भी रखा जाएगा। सभी एकादशियों का पुण्य फल इनके महत्व के अनुसार होता है, इनमें योगिनी एकादशी तो प्राणियों को उनके सभी प्रकार के अपयश और चर्म रोगों से मुक्ति दिलाकर जीवन सफल बनाने में सहायक होती है।

योगिनी एकादशी की पूजाविधि
इस दिन प्रातः काल उठकर स्नान करके पीले रंग के वस्त्र धारण करें। फिर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ पीपल के वृक्ष की पूजा का भी विधान है। साधक को इस दिन व्रती रहकर भगवान विष्णु की मूर्ति को ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ‘मंत्र का उच्चारण करते हुए स्नान आदि कराकर वस्त्र ,चन्दन ,जनेऊ ,गंध,अक्षत ,पुष्प ,धूप-दीप नैवेध, ताम्बूल आदि समर्पित करके आरती उतारनी चाहिए। शाम के समय भगवान के आगे घी का दीपक प्रज्वलित कर हरि नाम का कीर्तन करें।  

महत्व
पदमपुराण के अनुसार योगिनी एकादशी का महत्व समस्त पातकों का नाश करने वाली संसार सागर में डूबे हुए प्राणियों के लिए सनातन नौका के सामान है। यह देह की समस्त आधि-व्याधियों को नष्ट कर सुंदर रूप, गुण और यश देने वाली है। इस व्रत का फल 88  हज़ार ब्राह्मणों को भोजन कराने के फल के समान है। इस व्रत के प्रभाव से जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है और अंत में प्राणी को वैकुण्ठ की प्राप्ति होती है।

योगिनी एकादशी की कथा
शास्त्रों के अनुसार, जब स्वर्ग में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। राजा कुबेर देवों के देव महादेव के अनन्य भक्त थे। शिवजी की रोजाना श्रद्धा भाव से पूजा करते थे। एक दिन माली हेम कामासक्त की वजह से राजा कुबेर को समय पर फूल नहीं पहुंचा सका। यह जान राजा कुबेर क्रोधित होकर बोले- तुमने ईश्वर भक्ति के बजाय कामासक्त को प्राथमिकता दी है। अतः मैं शाप देता हूं कि तुम्हें स्त्री वियोग मिलेगा ? साथ ही धरती पर कष्ट भोगना पड़ेगा। कालांतर में शाप के चलते माली हेम को कुष्ठ रोग हो गया। वर्षों तक हेम को पृथ्वी पर दुख और कष्ट सहना पड़ा। एक दिन माली हेम को मार्कण्डेय ऋषि के दर्शन हुए। उस समय उसने मार्कण्डेय ऋषि से अपनी व्यथा बताई। तब मार्कण्डेय ऋषि ने माली हेम को योगिनी एकादशी के बारे बताया। मार्कण्डेय ऋषि ने कहा- इस व्रत को करने से तुम्हारे समस्त पापों का नाश होगा। साथ ही तुम्हें स्वर्ग लोक भी प्राप्त होगा। माली हेम ने विधि विधान से एकादशी का व्रत रखा। साथ ही भगवान विष्णु की पूजा-उपासना की। इस व्रत के पुण्य प्रताप से हेम को स्वर्ग की प्राप्ति हुई।

[metaslider id="184930"
Advertisement Carousel
Share.

Comments are closed.

chhattisgarhrajya.com

ADDRESS : GAYTRI NAGAR, NEAR ASHIRWAD HOSPITAL, DANGANIYA, RAIPUR (CG)
 
MOBILE : +91-9826237000
EMAIL : info@chhattisgarhrajya.com
December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031